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निभा पाओगे 

लाख चाहकर भी मुझे न तुम बुझाओगे

तुम अंधेरों में रहोगे जो न जलाओगे
मेरी तकदीर में लिखा था जलो सबके लिए
दर्द के किस्से किसी को न तुम सुनाओगे
अपनी खातिर हवाओं से बचाओगे मुझे
बुझ न जाऊं  कहीं अश्क न बहाओगे  
मेरे बुझने का अहसास भी डराता है तुम्हें 
आँसूं तो आएँगे कहीं तन्हा ही बहाओगे
जल जल के कुंदन सी बन गई है मुहब्बत मेरी 
ज़िन्दगी बीत गई भुलाई न गई यादें तेरी 
आज भी जलते हैं रखते हैं ताज़ा हरदम
क्या मेरी  तरह आप भी निभा पाओगे 
दीपक शर्मा कुल्लुवी
9350078399
१६/१२/११.


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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on December 19, 2011 at 2:26pm

dhanyabaad Rajpoot ji honsla afzai ke liye

Comment by AK Rajput on December 16, 2011 at 3:55pm
जल जल के कुंदन सी बन गई है मुहब्बत मेरी 
ज़िन्दगी बीत गई भुलाई न गई यादें तेरी 
खुबसूरत रचना  

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