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हक़ किसी का छीनकर, कैसे सुफल पाएँगे आप?

बीज जैसे बो रहे, वैसी फसल पाएँगे आप।

 

यूँ अगर जलते रहे, कालिख भरे मन के दिये,

बंधुवर! सच मानिए, निज अंध कल पाएँगे आप।

 

भूलकर अमृत वचन, यदि विष उगलते ही रहे,

फिर निगलने के लिए भी, घट- गरल पाएँगे आप।

 

निर्बलों की नाव गर, मझधार छोड़ी आपने,

दैव्य के इंसाफ से, बचकर न चल पाएँगे आप।

 

प्यार देकर प्यार लें, आनंद पल-पल बाँटिए,

मित्र! तय है, तृप्त मन, आनंद-पल पाएँगे आप।

 

शुद्ध भावों से रचें, कोमल गज़ल के काफिये,

क्षुब्ध मन के पंक में, खिलते कमल पाएँगे आप।

 

याद हो वेदों की भाषा, मान संस्कृति का भी हो,

हे मनुज! सम्मान का, विस्तृत पटल पाएँगे आप।   

 

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना रामानी

Views: 1499

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Comment by Shyam Narain Verma on July 25, 2013 at 3:20pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..............
Comment by कल्पना रामानी on July 25, 2013 at 10:11am

आद्रणीय सौरभ जी आपकी टिप्पणियाँ तो मेरे लिए एक संबलही साबित होती हैं। मुझे अपनी ही यह बात पीड़ा देती है कि मैं विद्वानों को पढ़ सकती तो और अच्छा प्रयास करती। इस उम्र में स्वास्थ्य  की समस्याओं से जूझते हुए सब कुछ सीखना संभव नहीं हो रहा है। किताबें और साहित्य बचपन से ही मेरे जीवन के साथ जुड़े हुए हैं , अब वह शौक लेखन के रूप में  उभर रहा है। आपकी हर बात मुझे और नया सीखने की प्रेरणा देती है। यह मैं सोच भी नहीं सकती कि इतनी संयत बातें करने वाले विद्वान की कोई बात व्यर्थ हो सकती है। मेरी अपनी जिज्ञासा ही नई बातें सीखने के लिए बनी रहती हैं।  मैं इस मंच की और आपकी हमेशा आभारी रहूँगी, आदरणीय आप अन्यथा न सोचें।

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 11:00pm

केतन भाईजी, आपकी जिज्ञासा और उत्साह से हमसभी अभिभूत हैं. लेकिन सीखने का एक तरीका होता है. हम यह नहीं साझा करना चाहते कि आप पढ़ने और सीखने का तरीका सीखें. लेकिन किसी गंभीर और संयत रचनाकार की एक उच्च स्तर की रचना पर प्रश्न करते हुए पूछते हुए सीखना कि कई मिसरे बेबह्र हैं, कितना उचित है, इसपर सोचना आपसे अपेक्षित है.

आदरणीया कल्पना जी की प्रस्तुत ग़ज़ल का कोई मिसरा बेबह्र नहीं है.

आप स्वयं विधान/ अरुज़ को जानने का प्रयास करें और ग़ज़ल कहें. सार्थक प्रयास पर सुधीजन आपसे टिप्पणियों के माध्यम से संवाद बनाना शुरु कर देंगे जो आपके लिए यथोचित उपयोगी होगा. 

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 10:53pm

आदरणीया कल्पनाजी, आपकी निरंतरता और सतत प्रयास हर नये रचनाकार के लिए सार्थक उदाहरण सदृश हैं. विशेषकर उन लोगों के लिए जो अपनी रचनाप्रक्रिया के क्रम में लापरवाही को कोई न कोई नाम देकर छंद/ग़ज़ल/कविता के विधान को सीखने से बचते हैं या भागते हैं.  अतुकान्त कविता के नाम पर बकवास करते हैं जबकि अतुकान्त कविताओं का भी अत्यन्त गठा हुआ व्यवहार होता है.

मैंने आपके कहे को कुछ इसतरह से सम्मान देने की कोशिश की है कि आपके तर्ज़ और अन्दाज़ को कन्हैयालाल नन्दन जैसे स्थापित और मूर्धन्य रचनाकार के प्रयासों के समकक्ष रखा है.

आपकी उपस्थिति और रचनाधर्मिता से, आदरणीया, हम बहुत कुछ सीखते हैं.  यदि मेरी टिप्पणी से कुछ अन्यथा निस्सृत प्रतीत हुआ हो या हो रहा हो तो मैं सादर क्षमाप्रार्थी हूँ.

जैसा कि मुझे स्मरण है, आपने व्यक्तिगत मेसेजिंग में या टिप्पणियों के माध्यम से अपने रचना प्रयास के प्रारम्भ को पहले ही साझा किया हुआ है. इसीकारण तो हम आपके प्रति अपने मन में इतना सम्मान रखते हैं.

सादर

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:57pm

आदरणीय सौरभ जी, गजल विधा में तो मेरी शुरुवात ही है। जनवरी से आदरणीय पूर्णिमा जी के आग्रह से शून्य से सीखना शुरू किया।वे मेरी प्रथम साहित्यिक गुरु और मित्र हैं उनके कारण ही मैं यहाँ इस संसार में हूँ। मैंने कभी गज़ल को किसी गोष्ठी में सुना है न ही किसी प्रसिद्ध शायर की कोई किताब पढ़ी है। वेब पर जो उपलब्ध होता है, उतनी ही जानकारी मुझे है। मेरा प्रयास तो सागर में एक बूँद जैसा ही है।आप सब विद्वानों की प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणियों ने हीमेरा आत्म बल बढ़ाया है। यह सब सही समय और सही उम्र में मिलता तो तस्वीर और होती। आपका पुनः हार्दिक धन्यवाद...

सादर   

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:48pm

आदरणीय केतन जी, आपने गजल को ध्यान से पढ़ा और समझा, बहुत बहुत धन्यवाद। आपको जिन शब्दों या पंक्तियों में शंका है, स्पष्ट इंगित कीजिये, निवारण की अवश्य कोशिश करूंगी।

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:45pm

आदरणीय सूबेसिंह जी, हार्दिक आभार आपका

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:43pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:37pm

आदरणीय डॉ॰ आशुतोष जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on July 24, 2013 at 9:35pm

आदरणीय कुंती जी, हार्दिक आभार

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