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गुमशुदा खुशियां कहां रहने लगी है आज छुप कर

गुमशुदा खुशियाँ कहाँ रहने लगी है आज छुप कर

***************************************

दर्द कैसे कम हुआ ये आंसुओं पूछ लेना

क्या अन्धेरों से डरे थे, तुम दियों से पूछ लेना

खुद जले थे,और कैसे, वो अन्धेरों से लडे थे

जानना चाहो अगर तो,जुगनुओं से पूछ लेना

आपकी प्रतिक्रिया कितनी सही कितनी ग़लत है

फैसला करने से पहले दोस्तों से पूछ लेना

रहबरी के नाम पे तो लूट जारी है यहां पर

रास्ता भूलो अगर तो रहजनों से पूछ लेना

गुमशुदा खुशियाँ कहाँ रहने लगी है आज छुप कर  

जो भी ग़म घेरे हुये हैं, उन ग़मों से पूछ लेना

किस तरह मैने गुज़ारा वक़्त अपना उन दिनों में

तुम घिरोगे जब कभी तो उलझनों से पूछ लेना

.

गिरिराज भंडारी

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2013 at 7:36pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका भाई उमेश जी , गज़ल स्वीकार करने के लिये !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2013 at 3:37pm

हौसला अफज़ाई के लिये शुक्रिया विवेक भाई !!

Comment by विवेक मिश्र on August 15, 2013 at 2:42pm
अच्छी ग़ज़ल हुई है गिरिराज जी। अंतिम शे'र मुझे सर्वाधिक करीब लगा। दाद कबूल करें।

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