For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतर मन क्रंदन से

***************

व्यर्थ लादे बंधन से

अंतर मन क्रंदन से

       टूटा जो मन भरोष

       जीवंत हुआ जो रोष

              तो भी क्या कुछ होगा ?

 

आशा के मर्दन से

वादों के भंजन से

        अलसाया होश जोश

        जानेंगे किसका दोष   

              तो भी क्या कुछ होगा ?

 

दोषों के मंडन से

साक्ष्यों के खंडन से  

         उपजेगा स्व,जय घोष

         कम पड़े जो शब्द कोश      

               तो भी क्या कुछ होगा   ?

 

अर्चन अभिनंदन से

शीतल हो चन्दन से         

       चल कर के कोस कोस

       कम होता फिर भी तोष

               तो भी क्या कुछ होगा ?

                  

भक्त -प्रेम बंधन से

अवतारी साधन से 

     करने जब पाल- पोष        

     स्वयं आयें आशुतोष

 

           तब कुछ निश्चित होगा   !!     

  

              ********

            गिरिराज भंडारी  

         मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 5:20pm

आदरणीय सौरभ भाई , गीत आपको पसन्द आया , मेहनत सफल हुई , उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2013 at 3:05pm

वाह !

बाह्यकरण की लाचार पहुँच पर सुन्दर भावाभिव्यक्ति हुई है, आदरणीय गिरिराज जी.

हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by रविकर on August 19, 2013 at 10:57am

सफल प्रयास-
खूबसूरत रचना-
आभार आदरणीय-

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 19, 2013 at 8:34am

सुंदर प्रस्तुति ..सादर बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 18, 2013 at 11:14am

बहुत बहुत शुक्रिया , सुरेन्द्र भाई !!

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on August 18, 2013 at 11:02am

बहुत सुन्दर. प्रशंसा में 

कम पड़े जो शब्द कोश ... तो भी क्या! गंभीर भावों का सुन्दर संयोजन. बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 17, 2013 at 1:45pm

बहुत बहुत आभार , आदरणीया आन्नपूर्णा जी !!

Comment by annapurna bajpai on August 17, 2013 at 1:06pm

आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी बहुत ही  सुंदरता से भावभिव्यक्ति हुई है अनुपम रचना , बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 17, 2013 at 12:16pm

सुमित भाई , बहुत बहुत धन्यवाद आपको , आभार आपका !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 17, 2013 at 12:11pm

श्याम भाई , हार्दिक आभार आपका !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
1 minute ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. गुरप्रीत भाई. आपसे शिक़ायत यह है कि हमें आपकी ग़ज़लें पढ़ने को नहीं मिल रही…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. समर सर की इस्लाह से तक़ाबुल ए रदीफ़ दूर हो गया है.शेर अब यूँ पढ़ा जाए .कड़कना बर्क़ का चर्बा…"
1 hour ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"वाह वाह वाह आदरणीय निलेश सर, बहुत समय बाद आपकी अपने अंदाज़ वाली ग़ज़ल पढ़ने को मिली। सारी ग़ज़ल…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. लक्ष्मण जी,वैसे तो आ. तिलकराज सर ने विस्तार से बातें लिखीं हैं फिर भी मैं थोड़ी गुस्ताखी करना…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"बहुत शुक्रिया आदरणीय तिलकराज कपूर जी, मैं सुधारने की कोशिश करता हूँ।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश जी फिलबदी है, कल आपकी ग़ज़ल में टिप्पणी के बाद लिखा है।"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,जल्दबाज़ी में मतले को परिवर्तित करने के चलते अभी संभावनाएं बन रही हैं कि समय के साथ…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service