For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रविकर
  • Dhanbad Jharkhand
  • India
Share on Facebook MySpace

रविकर's Friends

  • गिरिराज भंडारी
  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • Harish Upreti "Karan"
  • Dr Babban Jee
  • शिज्जु "शकूर"
  • Priyanka singh
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • बृजेश नीरज
  • वेदिका
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • Sarita Bhatia
  • लोकेश सिंह
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

रविकर's Groups

रविकर's Discussions

व्यवहारिक / व्यावहारिक
8 Replies

आदरणीय Open Books on-line पर मेरी यह पंक्तियाँ अशुद्ध घोषित की गईं - बताया गया कि व्यवहारिक शब्द गलत है- इसके स्थान पर व्यावहारिक होना चाहिए- इस प्रकार से मात्राओं की गणना को गलत बताकर मेरी मौलिक…Continue

Started this discussion. Last reply by Saurabh Pandey Jan 29, 2013.

 

रविकर's Page

Latest Activity

Profile Information

Gender
Male
City State
dhanbad
Native Place
faizabad
Profession
service
About me
Dinesh Chandra Gupta STA, ISM Dhanbad

रविकर's Blog

पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक-

पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |


सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |


जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||

मौलिक / अप्रकाशित

वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध

Posted on November 3, 2013 at 9:00am — 13 Comments

नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा-

सीमांकन दूजा करे, मर्यादा सिखलाय |
पहला परवश होय तब, हृदय देह अकुलाय |


हृदय देह अकुलाय, लगें रिश्ते बेमानी |
रविकर पानीदार, उतर जाता पर पानी |


यह परिणय सम्बन्ध, पके नित धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा -

मौलिक / अप्रकाशित
(दुर्गा-पूजा / विजयादशमी की मंगल-कामनाएं )

Posted on October 10, 2013 at 4:00pm — 11 Comments

बचपन तब का और था, अब का बचपन और

(1)

बचपन तब का और था, अब का बचपन और |

दादी की गोदी मिली, नानी हाथों कौर |



नानी हाथों कौर, दौर वह मस्ती वाला |

लेकिन बचपन आज, निकाले स्वयं दिवाला |



आया की है गोद, भोग पैकट में छप्पन |

कंप्यूटर के गेम, कैद में बीते बचपन ||

(2)

संशोधित रूप-

तब का बचपन और था, अब का बचपन और |

तब दादी गोदी मिली, नानी से दो कौर |

नानी से दो कौर, दौर वह मस्ती वाला |

लेकिन बचपन आज, महज दिखता दो साला…

Continue

Posted on October 9, 2013 at 9:00am — 15 Comments

ये दिल मांगत मोर-

दुर्मिल सवैया 

पुरबी उर-*उंचन खोल गई, खुट खाट खड़ी मन खिन्न हुआ |

कुछ मत्कुण मच्छर काट रहे तन रेंगत जूँ इक कान छुआ |

भडकावत रेंग गया जब ये दिल मांगत मोर सदैव मुआ  |

फिर नारि सुलोचन ब्याह लियो शुभचिंतक मांगत किन्तु दुआ  |

उंचन=खटिया कसने वाली रस्सी , उरदावन 

मत्कुण=खटमल 

अप्रकाशित / मौलिक 

Posted on October 8, 2013 at 4:00pm — 6 Comments

Comment Wall (17 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:08pm on September 10, 2013, ARVIND BHATNAGAR said…
Shukriya Ravikar ji.......
At 12:34pm on September 2, 2013, अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव said…

रविकर भाई - सप्रेम राधे-राधे ॥*********                                                                                               टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस | सभी पंक्तियों में तीखा व्यंग्य है-- बधाई 

At 11:22am on August 19, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

स्वागत है मित्र !!

At 10:45am on August 15, 2013, MAHIMA SHREE said…

जन्म दिवस की ढेरो बधाई और  शुभकामनाएं आदरणीय ...

At 10:26am on August 15, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई भाई श्री रविकर जी | प्रभु आपको घर परिवार, समाज और राष्ट्र की 

प्रगति में योगदान हेतु स्वस्थ व् सक्षम बनाए रखे | आपका हमारा स्नेह बना रहे |

At 9:42pm on July 4, 2013, बृजेश नीरज said…

आदरणीय रविकर जी,
महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई! आपके मार्गदर्शन की हम सबको सतत आवश्यकता है।
सादर!

At 5:12pm on July 3, 2013, Dr Ashutosh Mishra said…

आदरनीय गुरुदेव ..आपके छंदों के तो सभी कायल हैं....आपकी सृजनशीलता को नमन ...महीने का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई ...सादर प्रणाम के साथ ...कभी बभनान आईये 

At 11:15am on July 3, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

रविवर रविसम भौर से,अनुपम सा उपहार 
साँस साँस की हर लड़ी, स्वीकारे आभार |

व्यस्त समय से कुछ घडी, दे मित्रो को आप

मित्रो के सानिध्य में, सतत बहे रसधार |

-लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला 

At 8:36am on July 3, 2013, Abhinav Arun said…

छंद विधा के सुविज्ञ रचनाकार श्री रविकर जी को महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनायें ! भारतीय छंद विधान और पौराणिक कथानकों के प्रति आपकी अभिरुचि और आपके रचनाकर्म में उन्हें स्थान को शत शत नमन है !!

At 11:31pm on July 2, 2013, Harish Upreti "Karan" said…

सर महीने का सक्रीय सदस्य सम्मान के लिए बधाई.........

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सहमत"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"हार्दिक आभार आदरणीय"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सशील जी, शब्दों को मान देने के लिए आभार। संशोधन के बाद दोहा निखर भी गया है । सादर..."
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .राजनीति

दोहा पंचक. . . राजनीतिराजनीति के जाल में, जनता है  बेहाल । मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
Sunday
Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
Sunday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service