वो एक नींद ही तो थी
कि जिसमे
मै जाग रहा था /
सपने
तितलियों से कोमल
हथेलिओं की कोटर में
छुपा कर
चला था मैं
कि
बिखेर दूंगा इन रंगों को
चुपचाप
आसमान के कोने कोने में,
और चल दूंगा
अपने झोले में
कुछ मुस्कुराहटें
कुछ खुशियां
कुछ उम्मीदें
कुछ शरारतें लेकर
एक खुशनुमा सफर पर
एक बंजारे सा भटकता हुआ
गांव - गांव
शहर - शहर
कि
शायद मेरा होना
किसी के होठों की…
Posted on February 2, 2020 at 3:30pm — 4 Comments
मैं सोचता था
कि वह खो गया है कहीं
मगर
गुनगुनी धूप से धुली
उस सुबह
एक मोड़ पर
वह अचानक मिला
मैं जानता था
कि वह रुकेगा
वह रुक गया
मैं
यह भी जानता था
कि वह
मुझसे बातेँ करेगा
और वह
मुझ से बातेँ करने लगा
और तभी मैंने चाहा कि
मैं
उन अचानक मिले
कुछ पलों में
वे सारे स्वप्न साकार कर लूं
जो मैंने संजोये थे
मगर
उसके लिए ये पल तो
सिर्फ
कुछ पल थे ,
और वह…
Posted on January 27, 2015 at 11:00pm — 8 Comments
तुम आये
मै खुश था
बहुत खुश /
मुझे घेर लेते थे
या कहो
कोशिश करते थे
घेर लेने की /
कुछ अहसास
उल्लास ,दर्प , ईर्ष्या ,द्धेष
सम्मान / कुछ मखमली से
कुछ अनजाने से भी
और मैं उड़ता था / परी कथाओं के
नायक की तरह
पंखों वाले सफ़ेद घोड़े पर
खुशगवार मौसम में
चमकीली धूप में
नीले आसमान में /
सर-सर चलती हवाएं से आगे
और आगे ।
और फिर
जैसा कि सुनता आया था सबसे/
कि ऐसा ही होता है /…
Posted on May 3, 2014 at 8:00am — 11 Comments
दरवाज़ा तो मैंने ही खुला छोड़ा था
कि तुम भीतर आओगे
और बंद कर दोगे /
मगर
खुले दरवाज़े से आते रहे
सर्द हवाओं के झोंके
और ठिठुरता रहा मैं /
चेतनाशून्य होने ही वाला था कि
किसी ने
भीतर आ के
दरवाज़ा बंद कर लिया /
अधमुंदी आँखों से मैंने देखा
वो तुम नहीं थे /
मगर वो गर्मी कितनी सुखद थी /
और फिर
ना जाने कैसे
कब से
पेड़ कि फुनगी पर
बैठा चाँद
चुपके से उतर कर
मेरी आँखों में…
Posted on January 30, 2014 at 8:30pm — 14 Comments
आपकी सदशयता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय. यों, रचनाओं पर हुई टिप्पणियों पर धन्यवाद रचनाओं के पन्नों पर दें तो वह रचनाओं पर किसी सनद की तरह सदा उपलब्ध रहेगा.
सादर
हार्दिक स्वागत और शुभकामनायें आदरणीय श्रीअरविन्द जी !!
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