वो एक नींद ही तो थी
कि जिसमे
मै जाग रहा था /
सपने
तितलियों से कोमल
हथेलिओं की कोटर में
छुपा कर
चला था मैं
कि
बिखेर दूंगा इन रंगों को
चुपचाप
आसमान के कोने कोने में,
और चल दूंगा
अपने झोले में
कुछ मुस्कुराहटें
कुछ खुशियां
कुछ उम्मीदें
कुछ शरारतें लेकर
एक खुशनुमा सफर पर
एक बंजारे सा भटकता हुआ
गांव - गांव
शहर - शहर
कि
शायद मेरा होना
किसी के होठों की मुस्कुराहट
किसी के आँखों की उम्मीद
किसी के चेहरे की शरारत बन कर
आसमान के
कोने कोने में फैले
रंगों को
और चटक और खुशनुमा कर दे /
वो सपने तितलियों से
पंख थे उनके
न जाने उड़ गए वो
कब निकल कर
उड़ गए वो
हथेलियों की कोटर से
न जाने कितनी दूर भागा
उनके पीछे
मगर पकड़ ना सका /
लगा कि जाग गया हूँ मै
कि
कोई तितली नहीं, रंग नहीं
आसमान कसैला सा ,
की मेरी आँखों में खुद उम्मीद नहीं
होठों पर मुस्कान नहीं
चेहरे पर शरारत भी नहीं
खाली झोले में
बंजारे के
ना उम्मीदें
ना मुस्कान
ना सपने
ना शरारत कोई /
लगा कि नींद में हूँ मैं
कि तभी
देवदूत कोई
मेरे हाथों में
एक मुस्कान थमा जाता है /
क्या करूँ ??
क्या करूँ ?
उस मुस्कान को
अपने होठों पर चस्पा कर लूँ ,
या कि शायद
उसे ज्यादा ही जरुरत हो
वो शख्स
जो अभी अभी पास से
गुजरा है मेरे ,
उतरा चेहरा
और खुश्क होंठ लिए /
एक पल ठिठका मैँ
फिर वो मुस्कान मैंने
उसके खुश्क होठों पर
चस्पा कर दी /
वो मुस्कुरा उठा
और फिर जाने कैसे
वो मुस्कान बैठ गई
मेरे होठों पर आकर /
मैं मुस्कुराने लगा
हंसने लगा
और फिर हम मिल कर
खिलखिलाने लगे
और मुस्कानो को
हर होंठ पर सजाने लगे,
उम्मीदों से हर चेहरे को
निखारने लगे ,
और फिर हम सब मिल कर
हंसने लगे, खिलखिलाने लगे, गुनगुनाने लगे /
लगा कि जाग गया हूँ मैं
कि तितलियों के रंग
बिखरे हैं
आसमान के कोने कोने में,
और पाँव बेताब हैं
एक खुशनुमा सफर के लिए /
ये एक नींद ही तो है
कि जिसमे
मैं जाग रहा हूँ |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ. अरविंद जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
धन्यवाद , महोदय
जनाब अरविन्द भटनागर जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय अरविंद भटनागर जी बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online