For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anil Chauhan '' Veer"
  • Male
  • Gyangsan
  • Korea, Republic of
Share on Facebook MySpace

Anil Chauhan '' Veer"'s Friends

  • harivallabh sharma
  • ARVIND BHATNAGAR
  • गिरिराज भंडारी
 

Welcome, Anil Chauhan '' Veer"!

Profile Information

Gender
Male
City State
Daegu
Native Place
Kanpur
Profession
Research scholar
About me
Zindagi hai ki berang hui jaati hai, Hausala hai ki kam nahin hota...

Anil Chauhan '' Veer"'s Photos

  • Add Photos
  • View All

Anil Chauhan '' Veer"'s Blog

कि तुझसे हो के, हर एक शेर हर ग़ज़ल गुज़रे...

कुछ इस तरह से, मेरी ज़िन्दगी का पल गुज़रे ।

ह्रदय की पीर, मेरे आंसुओं में ढल गुज़रे ।।

तुझे मै देख के लिक्खूं , या सोच के लिक्खूं ।

कि तुझसे हो के, हर एक शेर हर ग़ज़ल गुज़रे ।।

यूँ तो एक रोज़ गुज़ारना है दिल की धड़कन को ।

पर तुझे देख के धडके, धड़क के दिल गुज़रे ।।

वो तेरा दर की जहाँ हम बिछड़ गए थे कभी ।

हो के हर रोज़ उसी दर से, ये पागल गुज़रे ।।

वो एक दिन की वीर खुशियों का सिकंदर था ।

ये एक दिन, की तेरे गम…

Continue

Posted on September 12, 2013 at 11:00am — 6 Comments

शायर की शायरी के लिए जान हैं आँखें.....

आशिक के दिल की ख्वाहिशो अरमान हैं आँखें । 

कुछ दिन से ये लगता है, परेशान हैं आँखें ॥ 

एक दिन तुझे देखा था, किसी राहगुज़र पे । 
उस दिन से उसी राह पे, मेहमान हैं आँखें ॥ 
 
होती हैं मेहरबाँ, तो ये उठकर के हैं गिरतीं । 
हो जाएँ बेमेहर, तो तूफ़ान हैं आँखें ॥ 
 
महबूब की कुर्बत में चमकती हैं ये अक्सर ।     
मौसम हो जुदाई का, तो बेजान हैं आँखें…
Continue

Posted on September 10, 2013 at 10:10pm — 12 Comments

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी जाती है

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी  जाती है । 

द्रौपदी, गार्गी और सीता, की कथा सुनाई  जाती है ॥ 
.
वो देश जहाँ के संस्कारों की, विश्व दुहाई देता है । 
वो देश जहाँ नारी हित में, तलवार उठाई जाती है ॥
.
उस देश की हालत देख…
Continue

Posted on September 10, 2013 at 9:00am — 19 Comments

तुझको देखूं, तुझे चाहूँ, तुझी से प्यार करूँ...

तुझको देखूं, तुझे चाहूँ, तुझी से प्यार करूँ । 

तेरे सिवा न किसी पर भी ऐतबार करूँ ॥ 

तू न आई है, ना आएगी, मेरे मिलने को । 

ये जानकर भी, मै बस तेरा इंतज़ार करूँ ॥

तू पशेमा नहीं होती है, बेवफा होकर । 

मै  वफ़ा करके भी, अपने को शर्मसार करूँ ॥ 

तेरी रातें तो महकती हैं गुलाबों की तरह । 

अपनी रातों को बता कैसे लालाज़ार करूँ ॥ 

नींद उड़ जाए तेरी, जब भी मेरा नाम आये । 

मै  चाहता हूँ तुझे, कुछ  ऐसे बेक़रार…

Continue

Posted on September 7, 2013 at 6:50am — 17 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:40pm on September 5, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

वीर भाई , स्वागत है , ओ बी ओ मे आपका !!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service