आशिक के दिल की ख्वाहिशो अरमान हैं आँखें ।
कुछ दिन से ये लगता है, परेशान हैं आँखें ॥
Comment
बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
भाई जी, मैं भी यह विधा सीखना चाहता हूं। आपसे अनुरोध है कि बहर बताने का कष्ट करें जिससे कि इस छात्र को रचना के मानक समझ आ सकें।
भाई जी, एक बात और ये ‘राहगुजर’ शब्द का क्या अर्थ होता है?
सादर!
एक दम मस्त और दिल को छू गयी है बहुत ही निगाहेंबान है आँखे , बहुत बधाई आपको
आ0 अनिल जी बहुत सुन्दर है ये आंखे ...... खूब बहुत बहुत बधाई
आदरणीय अनिल भाई जी ग़ज़ल के भाव अच्छे हैं किन्त्तु यदि बहर से अवगत करा देते तो हम सबको सीखने को मिल जाता और कुछ कहने में भी सरलता होती खैर इस प्रस्तुति पर दाद कुबूल फरमाएं.
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी हार्दिक शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए
वीर भाई , बढिया गज़ल कही भाई !! बधाई !!
आदरणीय annapurna bajpai जी बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए बिलकुल लिखा करूँगा अब से
आदरणीय वीनस केसरी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपकी बात ध्यान में रखूँगा
बहुत बढ़िया बधाई आपको आदरणीय वीर जी ।
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