For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तान्या : तुम्हे पा कर

तुम आये
मै खुश था
बहुत खुश /
मुझे घेर लेते थे
या कहो
कोशिश करते थे
घेर लेने की /
कुछ अहसास
उल्लास ,दर्प , ईर्ष्या ,द्धेष
सम्मान / कुछ मखमली से
कुछ अनजाने से भी
और मैं उड़ता था / परी कथाओं के
नायक की तरह
पंखों वाले सफ़ेद घोड़े पर
खुशगवार मौसम में
चमकीली धूप में
नीले आसमान में /
सर-सर चलती हवाएं से आगे
और आगे ।

और फिर
जैसा कि सुनता आया था सबसे/
कि ऐसा ही होता है /
तुम चले गये /मानो मुझे एक अंधे कूएँ मैं
फेंक दिया हो ।

मौसम बदल गये /
बदली भी छाती है
कभी कभी
आसमान पर /
और मैं जमीन पर हूँ |


लेकिन मैं खुश हूँ ,
तुम ना आते तो
क्या मैं
वो सारे अहसास
कभी महसूस कर पाता ।
सारे जहां की
बादशाहत पा कर
कैसा लगता है
यह मैंने तुम्हे पा कर जाना /
अच्छा ,,,,अलविदा। ।
नहीं । अलविदा नहीं
शायद तुम लौट आओ ।

मौलिक एवम अप्रकाशित
अरविन्द भटनागर ' शेखर'

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mrs manjari pandey on June 15, 2014 at 10:01pm
अरविन्द भटनागर जी बधाइयाँ सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए।
Comment by ARVIND BHATNAGAR on June 3, 2014 at 11:02pm

आदरणीय सौरभ भाई , शुक्रिया _ आपने रचना को पसंद किया । उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद । 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on June 3, 2014 at 10:57pm

बहुत बहुत  , शुक्रिया आदरणीय नीर  साहेब, केवल प्रसाद जी , अरुण जी  । क्षमा प्रार्थी हूँ की जवाब  देने में विलम्ब हुआ ।आशा है स्नेह बनाये रखेंगे 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on June 3, 2014 at 10:54pm

बहुत बहुत  , धन्यवाद आदरणीय शिज्जु शकूर जी ,कुन्ती मुख़र्जी  एवं नादिर खान साहेब । कुछ व्यस्तताओं के कारण जवाब देने में विलम्ब हुआ ।आशा है स्नेह बनाये रखेंगे 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2014 at 3:29am

बहुत खूब ! ..  कुछ अनुभूतियाँ उम्रदराज़ नहीं होतीं. उनके अंदाज़ निहायत अपने-अपने-से होते हैं.  बधाई ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 9:25pm

सुकोमल भावों की मखमली प्रस्तुति.................बधाई.................

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2014 at 12:11pm

हम सदैव ही दूसरों के माध्यम से ही कुछ पा सकते हैं। एकाकी जीवन/अनुभव तो मात्र अहं और हीनता से संलिप्त होता है। बहुत सुन्दर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं। सादर,

Comment by Neeraj Neer on May 4, 2014 at 10:42am

सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ..

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:25am

मन से निकली भावनाएँ जो शब्दों में ढल गयी.अति सुंदर.आपको बहुत बहुत बधाई.

Comment by नादिर ख़ान on May 3, 2014 at 1:30pm

कोमल भावनायें, सुंदर एहसास, हार्दिक शुभकामनायें ..आदरणीय अ.भटनागर जी ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service