सीमांकन दूजा करे, मर्यादा सिखलाय |
पहला परवश होय तब, हृदय देह अकुलाय |
हृदय देह अकुलाय, लगें रिश्ते बेमानी |
रविकर पानीदार, उतर जाता पर पानी |
यह परिणय सम्बन्ध, पके नित धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा -
मौलिक / अप्रकाशित
(दुर्गा-पूजा / विजयादशमी की मंगल-कामनाएं )
Comment
कुंडलिया में कर रहे, रिश्तों का आह्वान।
सुंदर भाव प्रवाह में, सफल हुए श्रीमान।।.... बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय रविकर जी...
वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
aadarneey gurudev ..bahut sunder kundaliyan ..aapke saadar badhaaaayee ke sath
कुण्डलियाँ तो एक है, कहे कोई भई वाह!
कोई आधा समझ के , क्यों भरते है आह!
कृपया अन्यथा न लें! औरों की प्रतिक्रिया देख, बस यूं ही निकल गया!
//करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा -//.........क्या कहने? वाह....बहुत सुन्दर कुण्डलियां। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें। आदरणीय रविकर भार्इजी, सादर,
बहुत सुन्दर सशक्त आ. श्री रविकर जी !
नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा |
रविकर जी सन्देश किस समाज के लिए है ?
आदरणीय रविकर जी , रिश्तों को मर्यादित रखने का बहुत अच्छा रास्ता सुझाया है आपने !!! लाजवाब कुंडलिया के लिये बधाई !!
नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा ?? --------वाह भाई वा !!
नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा ??
वाह सर बहुत सुन्दर सन्देश .....बहुत बहुत बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online