For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"इक तो तू  रोज दारू पीकर आता है, रोज समय से पहले भाग जाता है...और जो काम बताओ, उसे पूरा ही नहीं करता...ऐसा कर, कल से काम पे आना बंद कर..समझ !" रामेश्वर ने रोज रोज से तंगाकर गुस्से में कहा..

लखन ने बिना पछतावा किये, वहां से जाते हुए कहा..."अपने को क्या, सरकार इतना सस्ता राशन दे रही है, बच्चे स्कूल में दिन को खा ही आते है, घरवाली मजूरी करती ही है....अपनी बोतल...."

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व्  अप्रकाशित )

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 1, 2013 at 10:56pm

आदरणीय बृजेश जी, आपका बहुत बहुत आभार

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on October 1, 2013 at 10:49pm

 सरकारी राहत पर अच्छा व्यंग है! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 1, 2013 at 10:16pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय माथुर साहब

सादर!

Comment by D P Mathur on October 1, 2013 at 9:04pm

आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत सटीक व्यंग्य किया है आपने ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 16, 2013 at 11:32pm

यह सच है, जिन हालातों का लघुकथा में बयान किया है, बहुत हद तक सच्चाई ही है, आपका कहना भी सही है की सहायता से निकम्मापन

आ जाता है,

आपने रचना पर अपना अमूल्य समय दिया आपका बहुत बहुत आभार, आदरणीय शुभ्रांशु जी, स्नेह बनाये रखिये,

सादर!

Comment by Shubhranshu Pandey on September 16, 2013 at 5:47pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, बहुत सुन्दर कथा है.

कभी कभी किसी की सहायता उसको जाहिल और निकम्मा बना देता है,

सहायता देने वाले को पता होना चाहिये कि उसके सहायता का प्रार्थी उसका उपयोग कैसे करता है. वर्ना जिस हालात का बयान आप कर रहे हैं वो एक सच्चाई है....

सादर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 11:42pm

सच! कहा आपने, सामाजिक चेतना व् नैतिक शिक्षा की बहुत आवश्यकता है, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण जी, आशीर्वाद बनाये रखिये

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 9:26pm

लघुकथा पर आपकी  कर्मठ, जुझारू व् सकारात्मक प्रतिक्रिया से, रचना को सार्थकता का प्रमाण मिलता है, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश जी, आशीर्वाद व् स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 9:11pm

आपका कहना सही है, लखन जैसे लोग ही सरकारी व्यवस्था को कलंकित कर रहे है,

लघुकथा के शीर्षक हेतु आपका कहना स्वीकार करता हूँ, आपकी लेखनकर्म के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया ने मन में ख़ुशी व् आत्मबल दोगुना कर दिया, आपका बहुत बहुत आभार गीतिका जी,

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 8:32pm

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया से अति मनोबल मिला, आपका बहुत बहुत आभार ,आदरणीय अरुण अनंत जी,

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
9 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
36 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
40 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
44 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
51 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
58 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
59 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी ठीक है, उला सानी अदला बदली  करके भी देख लें और जो  अच्छा लगे रख लें।"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अब देखियेगा आदरणीय  हिज्र में एक ये सज़ा भी थी बे-क़रारी की इंतिहा भी थी"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी शुक्रिया आदरणीय ज़र्रा नवाज़ी का ग़ज़ल पर"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service