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नवगीत - नये साल की धूप // --सौरभ


आँखों के गमलों में
गेंदे आने को हैं
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .

ये आये तब
प्रीत पलों में जब करवट है
धुआँ भरा है अहसासों में
गुम आहट है
फिर भी देखो
एक झिझकती कोशिश तो की !
भले अधिक मत खुलना
तुम, पर
कुछ सुन जाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .

संवादों में--
यहाँ-वहाँ की, मौसम, नारे..
निभते हैं
टेबुल-मैनर में रिश्ते सारे
रौशनदानी
कहाँ कभी एसी-कमरों में ?
बिजली गुल है,
खिड़की-पल्ले तनिक हटाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
 
अच्छा कहना
बुरी तुम्हें क्या बात लगी थी
अपने हिस्से
बोलो फिर क्यों ओस जमी थी ?
आँखों को तुम
और मुखर कर नम कर देना
इसी बहाने होंठ हिलें तो
सब कह जाना..
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
*********
-- सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on December 24, 2013 at 3:25pm

अप्रतिम---मधुर नव गीत  !!  ह्रदय में  नव वर्ष की ताज़गी भर दिया इस रचना  ने , नमन वंदन और नव वर्ष पर नव प्रणाम  अग्रज श्री !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 24, 2013 at 9:49am

बेहद सुंदर मनमोहक गीत, अपनी ओर आकर्षित पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीय सौरभ जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 24, 2013 at 7:33am

आदरणीय सौरभ भाई , क्षमा ! क्षमा ! क्षमा ! - तहे दिल से आपसे क्षमा मांगता हूँ । कल आपके नव गीत पर प्रतिक्रिया दिया था , और अपने खुद के अज्ञानता बोध की बात कही थी , उसमे मैने एक पंक्ति किसी शायर की भी लिखी थी , जो मुझे बाद मे अनावश्यक लगीजिसे एडिट करने के लिये मै प्रयास कर ही रहा था कि लाइट गोल हो गई , और प्रतिक्रिया डिलिट हो गई ॥ सवेरे आपकी  नवगीत समझाते हुये मेरे नाम से प्रतिक्रिया देखी । मुझे बहुत शर्मिन्दगी हुई । कृपा कर आप मुझ अज्ञानी को क्षमा करें ॥

आप सभी गुणीजन मेरे आदर्श हैं , आपकी रचना का मान मेरी कोई पंक्ति कम न कर दे , इसी भाव से मै उस शायर की पंक्ति को हटा देना चाहता था । सदाशय मे हुई गलती को क्षमा करें ।

                                                                आपकी सुन्दर नवगीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ॥॥

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on December 23, 2013 at 11:11pm

आँखों को तुम
और मुखर कर नम कर देना
इसी बहाने होंठ हिलें तो
सब कह जाना..
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना...  :))

वाह, सुन्दर गीत आदरणीय सौरभ जी !
इसी गीत के साथ, नववर्ष मंगलमय हो !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 11:07pm

बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीया मीनाजी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 11:06pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, आप जैसे भावुकहृदय वरिष्ठों से रचना पर प्रशंसा पाना मेरे लिए आत्मीय संतोष का कारण है.
रचना को पसंद करने केलिए आपका सादर धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 11:04pm

ह्रुदय से धन्यवाद, भाई बैद्यनाथ सारथीजी. आपकी स्वीकृति मुझे भी आश्वस्त कर रही है.
शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 11:03pm

भाई अरुन अनन्तजी, आपको नवगीत के भाव रुचिकर लगे, बस समझिये मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ..
हार्दिक बधाई..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 11:01pm

आदरणीय़ अविनाश भाईजी, आपकी संवेदना ने नवगीत के इंगितों को भरपूर मान दिया है. आपकी हसलाअफ़जाई के लिए हृदय से धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:59pm

आदरणीय गोपाल नारायनजी,
आपने बहुत समय दिया, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

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