For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 “ पिताजी, वो अपनी नदी के पास वाली जमीन लगभग कितनी कीमत रखती होगी, अगर उसे बेच दिया जाय तो कैसा रहेगा ?

“क्यों..? बेटा क्या जरुरत आ पड़ी है ? खुली तिजौरी को बंद करने की..”

“ पिताजी..! ऐसे ही एक प्लान बनाया है, जिससे भविष्य संवर सकता है”

“ अरे बेटा..भविष्य संजोये रखने से संवरता है खोने से नही, वैसे मैंने अपनी नौकरी के रहते तुम्हारी पढाई पर बहुत खर्च किया, यहाँ तक की तुम्हारा घर बसाने में अपना पी.एफ. का पैसा भी झोंक दिया, , मैं तो यहाँ छोटे शहर में अपनी पेंशन से अपना और तुम्हारी माँ का खर्च चला रहा हूँ, खेत किराय पर दे रखे है तो वह आय  भी तुम बड़े शहर में अपनी पत्नी और बच्चे पर खर्च कर रहे हो, तुम्हारी उम्र भी ४०वर्ष की हो गई है, कुछ समझ नहीं आ रहा हो तो यहीं वापस आ जाओ ”

“ पिताजी..मैं बेवकूफ नही  हूँ, बड़े शहर में संघर्ष कर रहा हूँ आप यह बातें समझते क्यों नहीं हो.? “

“ हाँ..बेटा समझता हूँ पिछले महीने तुम्हारे वहां आया तो था,तब देख चुका तुम्हारा संघर्ष, तुमने अपने बच्चे को होस्टल में डाल रखा है तुम दोनों पति-पत्नी रात भर कम्प्यूटर के अंतरजाल में फंसे रहते हो, तुम्हारी सुबह रोज ११ बजे होती है और दोपहर ४ बजे , भोजन करने का कोई निश्चित समय नहीं, नहाना तो बहुत दूर की बात, पूरे घर में मकड़ी के जालो में कीड़े-मकोड़े फंसे हुए ऐसे लगते है जैसे कोई नई तरह की   सजावट हो, फर्श पर धूल ऐसी बिछा रखी है जैसे रोज चोरों के पैरों के निशान लेना हो, रसोई में बर्तनों में जंग सा लगा हुआ है, पीने के पानी को गंदा कर लेते हो उसके बाद फ़िल्टर करके पीते हो ,चाय के मग पर चीटियों की न जाने कितनी पीढियां गुजर गई हों, शौचालय के तो क्या कहने.? रेलवे स्टेशन के शौचालय को शर्म आ जाय, कपड़ो से पता लगता है कि पूरी कॉलोनी के लोगों ने तुम लोगों को धोने को दे गये हों, कहीं-कहीं तो फर्श पर सामान ऐसा बिखरा पड़ा है, कि बेटा मुझे ६५ की उम्र में भी कूद कर निकलना पड़ा, बिस्तरों और चादरों पर दाग-धब्बों से पूरे विश्व के नक़्शे बने हुए है, अलमारिया  खाली पड़ीं है और कुर्सियां सामान से लदी हुयी है, इतनी गंदगी देखकर तो तुम्हारा वैक्यूम क्लीनर भी हड़ताल कर देगा ,घर में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ डाक्टर के पर्चे और दवाइयाँ न रखी हों, तुम दोनों पति-पत्नी अपनी मोटी काया को पतली  करने ,पैसे खर्च करके व्यायामशाला जाते हो, तुम्हारी मोटर-साईकिल में पेट्रोल डलवाने के पैसे नही रहते थे, और अब कार खरीद ली है..वाह! सच बहुत संघर्ष है मानता हूँ.”

“ पिताजी..आपकी ऐसी  बातें मुझे बहुत दुखी करती है, आप हमेशा ही मेरे जीवन में दोष निकालते रहते है”

 

“ क्या करूँ बेटा..? तुम मेरे दुश्मन होते तो तुम्हे कभी दुखी नहीं करता और न ही दोष निकालता, मैंने अपने ज्ञान, अनुभव और संस्कारों को अपने दिमाग और दिल में संजोया है, और तुमने उन्हें  अपनी डायरी व् पी.डी.  में, जिनके फुल हो जाने पर रद्दी में रख दिया गया है,जिन्हें कभी वापस नही खोला.

अभी समय है बेटा..! यहाँ अपना खुद का घर है सब साथ रहेंगे, छोटे शहर में खर्च भी कम रहता है, तुम्हारा मकान का किराया भी बचेगा और इतने पढ़े-लिखे तो हो कि यहीं  कुछ कर सकते हो, जमीन बेचने की बात ही नही आएगी. और बेटा..! यह जमीने हमारे पूर्वजों ने भूखे-नंगे रहकर तौजी भर-भर कर बचाकर आज हमें सौंप कर चले गये जो आज हमारी ताकत है, क्यूँ न हम भी उसी से आय लेकर उसे सुरक्षित रखे ताकि अपनी अगली पीढियों को इधर-उधर भटकना न पढ़े.

 

“ बस..पिताजी, बहुत हो गया आपका ज्ञान, अब शायद मुझे न्यायालय से ही अपना अधिकार मांगना पड़ेगा”

“ हाँ..बेटा, यही बाकी रह गया है , हमारे बुजुर्ग कहते थे कि माँ अगर बच्चे को ज्यादा उम्र तक दूध पिलाये तो दूध न आने पर, बच्चा खून चूसने लगता है और बाप अगर बच्चे को  ज्यादा उम्र तक पालता रहे   तो बच्चे एक समय में  बाप से ही हक़ छिनने  लगता है, यह सब तुम्हारी मक्कारी की निशानी है, जो बिना कर्तव्य किये अधिकार की बात कर रहे हो, खैर... अच्छा शार्ट-कट है”    

  जितेन्द्र 'गीत'

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2014 at 10:23pm

यह एक सच्ची कहानी है आदरणीय सुरेन्द्र जी, आपकी प्रतिक्रिया से बहुत मनोबल मिला आपका बहुत बहुत आभार

सादर!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 24, 2014 at 9:08pm

“ क्या करूँ बेटा..? तुम मेरे दुश्मन होते तो तुम्हे कभी दुखी नहीं करता और न ही दोष निकालता, मैंने अपने ज्ञान, अनुभव और संस्कारों को अपने दिमाग और दिल में संजोया है, और तुमने उन्हें  अपनी डायरी व् पी.डी.  में, जिनके फुल हो जाने पर रद्दी में रख दिया गया है,जिन्हें कभी वापस नही खोला....

माँ अगर बच्चे को ज्यादा उम्र तक दूध पिलाये तो दूध न आने पर, बच्चा खून चूसने लगता है और बाप अगर बच्चे को  ज्यादा उम्र तक पालता रहे   तो बच्चे एक समय में  बाप से ही हक़ छिनने  लगता है..

जितेन्द्र भाई एक यथार्थ और सच को स्पर्श करते हुए  बहुत अच्छी कहानी दिली बधाई ...
भ्रमर ५

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 10:17am

आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय राम भाई, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 10:15am

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखनकर्म को बहुत मनोबल मिला आदरणीय अरुण अनन्त जी, आपका ह्रदय से आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 10:07am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सोमवीर जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 10:06am

आपने रचना को पसंद किया आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया मीना दीदी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 10:04am

यह एक सत्य घटना पर आधारित कहानी है पिता के वार्तालाप से पुत्र के झूठे संघर्ष का चित्रण किया गया है,जो गैरजिम्मेदारी से अपना जीवनयापन कर रहा है,

आपको कहानी रुचिकर लगी,लेखनकर्म सार्थक हुआ आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय जी.स्नेहिल आशीर्वाद व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 9:56am

आप बिलकुल सही कह रहे है आदरणीय शुभ्रांशु जी, आजकल कुछ इंसान इन सब बातों को अनुशासनहीन तरीके से ले रहे है, जो अपने  वर्तमान  ही नही अपितु भविष्य को भी निठल्ला कर लेते हैं.

कहानी पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 11, 2014 at 9:49am

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया कुंती जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:08pm

बहुत ही सुन्दर लघुकथा भाई ऐसे ही लिखते रहें  .   शुभ  शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
21 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service