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22122

लाचार हो क्या?

सरकार हो क्या?

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या?

छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?

बेचा है खुद को,

बाज़ार हो क्या?

तारीफ कर दूँ,

अशआर हो क्या?

खुद से ही बातें,

बीमार हो क्या?

*****************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 741

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 14, 2014 at 10:25am

आदरणीय राम भाई , इतनी छोटी बह्र मे कमाल की ग़ज़ल कही है , सभी शे र लाजवाब हैं , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2014 at 9:29am

राम भाई इस ग़ज़ल से आपने एकदम से चौकाया है, छोटी बहर पर कहन को जिस खूबसूरती से निभाया है वह तारीफ़ के काबिल है, सभी अशआर एक से बढ़कर एक है, कुल मिलाकर एक खुबसूरत ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 2:46pm

छोटी बह्र में बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल भाई राम बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 12, 2014 at 8:56am

छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?...........वाह!क्या गजब कहा

बेचा है खुद को,

बाज़ार हो क्या?..........यह तो करारा प्रहार हुआ

खुद से ही बातें,

बीमार हो क्या?............ओह!!  अवसाद से ग्रसित :))

छोटी बह्र पर बहुत लाजवाब गजल कही आपने आदरणीय राम शिरोमणि जी, दिली बधाइयाँ स्वीकारें

Comment by ram shiromani pathak on May 11, 2014 at 4:35pm

हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी …।  सादर

Comment by Meena Pathak on May 11, 2014 at 2:25pm

वाह वाह पाठक जी .. क्या बात है .. बेहतरीन गज़ल .. बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:19pm

हार्दिक आभार आदरनीय भाईं गुमनाम  महिमा  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:18pm

हार्दिक आभार आदरणीया महिमा  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:18pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई अजय  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:17pm

हार्दिक आभार आदरणीय कृष्णा सिंह   जी,,,,,,,,,,सादर  

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