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वाह हमारे नेता जी!!

रक्त पिपासु कीड़ा है नाम!
दर्द देना उनका है काम!!
कहें दर्द को कम करता जी!
वाह हमारे नेता जी!!

स्वेत वस्त्र पर दिल है काला!
गरीबोँ का खाते निवाला!!
फ़िर भी वो भूखा रहता ज़ी!
वाह हमारे नेता जी!!

जनता के पैसे खा जाते !
फ़िर भी सब को आँख दिखाते !!
मै तो सज्जन हूँ कहता जी!
वाह हमारे नेता जी!!

बोलबचन बस झूठे वादे!
गंदे इनके सदा इरादे!!
बिन बुलाया भूत दीखता जी!
वाह हमारे नेता जी!!
******************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on July 20, 2014 at 2:43pm

इस पोस्ट के लिए क्षमा चाहूंगा आदरणीया प्राची जी ........ सादर

Comment by ram shiromani pathak on July 20, 2014 at 2:43pm

इस पोस्ट के लिए क्षमा चाहूंगा आदरणीय सौरभ जी........ सादर

Comment by ram shiromani pathak on July 20, 2014 at 2:42pm

सुझाव के लिए हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी। … सादर

Comment by ram shiromani pathak on July 20, 2014 at 2:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी। … सादर

Comment by ram shiromani pathak on July 20, 2014 at 2:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल नारायण जी। … सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 8, 2014 at 3:29pm

मेरे मन में भी बिलकुल यही सवाल उठा जो आ० सौरभ जी ने पूछा है....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 3:57am

आप वही रामशिरोमणि जी हैं न ?

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 29, 2014 at 11:33am

आ. राम भाई , नेताओं का चरित्र चित्रण खूब किया है ! गीत मे गेयता थोड़ी बाधित लगी भाई , उच्च स्वर में पढ़ के देखियेगा एक बार ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 29, 2014 at 9:14am

सच को उजागर करती रचना, बधाई आदरणीय राम भाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 27, 2014 at 12:04pm

प्रिय दीपक

यह कविता तुम्हारी आयु के हिसाब से बिलकुल ठीक है i  मैदान में डटे  रहो i

कृपया ध्यान दे...

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