For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतीक्षा // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा//

प्रतीक्षा

-------

प्रतीक्षा है

किसकी?

किसे है प्रतीक्षा

मन, मस्तिष्क

या आँखें

विभेद कठिन

आज तक स्मृति में है

वह सब कुछ

विस्मृत हो तो कैसे

क्या उसने भुला दिया होगा

शायद भुला सके

पर मैं नहीं भूल पाया

गुजरा कल

वे यादें

स्मृति पटल पर

आज भी कौंध जाती हैं

पुरवाई बयार से उभरी

पुरानी चोट की तरह

सुबह-शाम

सड़क से गुजरती बस से

झाँकती बाला

अद्वितीय मुस्कान

लहराते केश

एक मौन आमन्त्रण

शायद प्रतीक्षा ही जिंदगी है

थमा नहीं है

बस का आना-जाना

जर्जर हो चुकी है

खड़खड़ाती

भंग करती मेरी तन्द्रा

आज भी वह नहीं

आई शायद कभी....

प्रतीक्षा है

एक अंतहीन प्रतीक्षा

मौलिक /अप्रकाशित 

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

२७-७-२०१४ 

Views: 714

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 2, 2014 at 1:37pm

परम सनेही श्री सौरभ पांडे /अनुज श्री जी 

कंधे पर कई लाशों का बोझ है . शमशान तक पहुंचाता  नही 

शेर अकेला हो जंगल में सुनामी से घबराता नही 

सत्य वचन है आपका आज्ञा   शिरोधार्य 

प्रेम निरंतर रहे बना करता रहूँ सत्कार्य 

था  अकेला मैं चला अकेला ही जाऊंगा 

रोके टोके लाख कोई 

गीत मिलन के ही गाऊंगा 

जय हो मंगल मय हो 

सादर / सस्नेह 

मेरे को हमेशा कि तरह रास्ता दिखाते रहिये 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2014 at 2:09am

आदरणीय प्रदीपभाईजी, स्वस्थ हो रहे हैं, सुन कर असीम आनन्द महसूस कर रहा हूँ.  ..

आदरणीय, यदि मेरा वाकई भला चाहते हैं. आपको मेरे प्रति तनिक ’भाव’ हैं, तो ऐसे किसी सम्बोधन से बचें.

पहले दुखता था. अब तो ये गाली लगता है, वो भी खिजलाता हुआ.
(आपके माध्यम से स्पष्ट कह दिया, ताकि अनन्यों को ’क्लू’ मिल जाये..)
सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 6:55pm

आदरणीय गुरुदेव  जी/ आप जो भी कहें अपने संबोधन में. गुरु बना चुका हूँ तों वापस कैसे लौटूं.  

सादर 

बीमारी    कुछ इस कदर  बढ़ी कि चलने पर लगता है जैसे चांद पर चल रहा हूँ. दृष्टि  बहुतकम हो गयी. अब कुछ सुधार है. लिखता कुछ हूँ लिखा कुछ और जाता है. ख़ैर आपका स्नेह प्राप्त हुआ .

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 6:51pm

आदरणीय अमोद कुमार श्रीवास्तव जी 

सादर 

सच ही है 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 6:49pm

आदरणीय डा. आशुतोष मिश्र जी 

सादर 

सच ही है 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 6:48pm

आदरणीय लड़ीवाला जी 

सादर 

चलते -चलते ?

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 6:47pm

आदरणीय डा . साहब श्रीवास्तव जी 

सादर 

शायद ?

स्नेह हेतु आभार                                          


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2014 at 5:17pm

बाला के बिम्ब पर आपने बहुत कुछ कहने की कोशिश की है,  भाईसाहब. दिली बधाई ही दूँगा.

वैसे आपको पुनः क्रियाशील होते देखना हृदय को भला लग रहा है.  ऐसे ही प्रयत्नशील रहें.

सादर

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 29, 2014 at 8:32am

अतीत हमेशा वर्तमान पे भारी रहा है .... भावों को उकेरने के लिए ... बधाई ... सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 28, 2014 at 4:38pm

आदरणीय कुशवाहा जी ..स्मृति पटल से यादों को हटा पाना वाकई इतना आसान नहीं है ,बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निशा स्वस्ति "
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब की आज्ञानुसार :- "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 168…"
8 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।"
8 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
8 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल पर आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय फिर अन्य भाषाओं ग़ज़ल कहने वाले छोड़ दें क्या? "
8 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"गुरु जी जी आप हमेशा स्वस्थ्य रहें और सीखने वालों के लिए एक आदर्श के रूप में यूँ ही मार्गदर्शक …"
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//मेरा दिल जानता है मैंने कितनी मुश्किलों से इस आयोजन में सक्रियता बनाई है।// आदरणीय गुरुदेव आप…"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सभी गुणीजनों की बेहतरीन इस्लाह के बाद अंतिम सुधार के साथ पेश ए ख़िदमत है ग़ज़ल- वाक़िफ़ हुए हैं जब…"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//उर्दू ज़बान सीख न पाए अगर जनाब वाक़िफ़ कभी न होंगे ग़ज़ल के हुनर से हम'// सत्यवचन गुरुदेव। सादर…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service