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गीत- जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है

२१२ २१२ २१२ २१२

जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है!
साल दर साल दिल का यही हाल है!!
मुझको तो इससे कुछ फर्क पडना नहीं!
ये गया साल है या नया साल है!!

स्याही किस्मत के उस पेज पर जा गिरी!
जिस पे तस्वीर थी मेरे दिलदार की!
या खुदा तुझसे ये क्या खता हो गयी!
मेरी किस्मत से वो अब जुदा हो गयी!
अब मुकद्दर मेरा दोस्त कंगाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......

नाम ही है सुना मैनें देखी नहीं!
शक्ल से तो कभी क्या बला है खुशी!
है गरीबी बहुत और बहुत बेबसी!
इक नदी है यहाँ गम की बहती हुई!
क्या बताऊं तुम्हें मेरा क्या हाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......

टीस उठती है तो फिर वो सोती नहीं!
चोट ऐसी लगी ठीक होती नहीं!
दर्द बहता है अब खून बहता नहीं!
प्यार तुझसे मेरा फिर भी घटता नहीं!
देह 'राहुल' की जख्मों की चौपाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......


मौलिक व अप्रकाशित!

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Comment by Rahul Dangi Panchal on January 7, 2015 at 3:20pm

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