नीम रिश्तों में जेसे दर आया
हर तरफ़ तीरगी सी फेली है
रूह घायल है और सहमी है
अपका साथ अब न होने से
ज़िन्दगी जैसे एक मक़तल है
और मक़तल में मैं अकेला हूं
ज़िन्दगी की तवील राहों में
ख़ुद को बेआसरा सा पाता हूँ
साथ एसे में राहबर भी नहीं
दिल की मेहफ़िल में रोशनी भी नहीं
रूह में कोई ताज़गी भी नहीं
मैं हूँ बेआसरा सा सहरा में
ढ़ूंढ़ता हूं वही शफ़ीक़ नज़र
जानता हूँ कि तुम गए हो जहाँ
उस जगह से कभी न लौटोगे
दिल हक़ीक़त से आशना है मगर
फिर भी बैचेन मानता ही नहीं
एक उम्मीद पाले बैठा है
इन बयाबान ,आसमानों से
और माज़ी की इन चटानों से
ऐक आवाज़ फिर से उभरेगी
"मद भरी वौ सदाएँ अब्बु की"
"एक दिन तो ज़रूर आएँगी"
"एक दिन तो ज़रूर आएँगी"
मोलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आमीन !
मैं तो मात्र सेवक हूँ आप सबका और कुछ नहीं ।
आली जनाब समर कबीर साहिब जी आदाब,
आपके किस किस अंदाज़ का शुक्रिया अदा किया जाए
आप हम जेसे नौमश़्क शौरा के लिए वरदान हैं
रब तआला आपको सहत ओ आफ़ियत के साथ दराज़ उम्र अता करे
जनाब डॉ आशुतोष जी आदाब,
हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब आशुतोष जी,ये एक ऐसी "आज़ाद" नज़्म है जो बह्र में कही गई है,इसके अरकान हैं 2122 1222 22हैं, इसे यूँ समझें कि ये एक ऐसी अतुकान्त कविता है जो छन्द में है ।
आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बैग जी बहुत ही उम्दा नज्म हुयी है ...मैंने इसे बतौर एक रचना के पढ़ा है क्योंकि मुझे नज्म के बारे में जानकारी नहीं है ..
जानता हूँ कि तुम गए हो जहाँ
उस जगह से कभी न लौटोगे
दिल हक़ीक़त से आशना है मगर
फिर भी बैचेन मानता ही नहीं
एक उम्मीद पाले बैठा है
इन बयाबान ,आसमानों से
और माज़ी की इन चटानों से
ऐक आवाज़ फिर से उभरेगी
"मद भरी वौ सदाएँ अब्बु की"
"एक दिन तो ज़रूर आएँगी..ये पंक्तियाँ दिल को छू लेने वाली हैं ..काबिले तारीफ़
मोहतरम जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,
तालिब इल्म हौसला अफ़ज़ाई के लिए मशकूरो ममनून है।
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब मिर्ज़ा जावेद बैग साहिब ।
वाह!/मैं हूँ बेआसरा सा सहरा में, ढ़ूंढ़ता हूं वही शफ़ीक़ नज़र!// ..बेहतरीन भावपूर्ण नज़्म हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब।
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब,
आपकी दुआऔं का फ़ैज़ बना रहे बहुत शुक्रिया
गोल्डन जुबली मुशायरे में आपका मिसरा देने के लिए
ओबीओ मँच को धन्यवाद और आपको इस एज़ाज़ के लिए
दिली मुबारक बाद
जनाब विनय निकोरे जी आदाब,
क़ीमती वक़्त देकर मेरी नज़्म पढ़ने और हौसला अफ़जा़ई करने के लिए दिलीशुक्रिया
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