For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क के मजार पर

पाकीजा रुह का दीया रखते वक्त

जैसे ही उसने चुन्नी से सिर ढांका  

लौ थर्रा कर बोली

उसके साथ ही उसका

दीन और ईमान भी वापस लौट गया

उसके साथ ही

ख्वाब और खुलूस भी खो गया

वह आंखे बन्द कर मुस्कुराई

वह था .. अभी भी था

यकीनन था

कई हजार प्रकाश वर्ष दूर

प्रकाश जिस सीधी रेखा से

होकर गुजरती  है

वही शायद

उसकी हथेलियों मे नही था ......... ग़ुल सारिका  

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 8, 2013 at 10:25pm

आदरणीया आपका आभार कि आपने मेरे कहे को मान दिया। 

Comment by Gul Sarika Thakur on September 8, 2013 at 10:17pm

Bahut bahut abhar aap sabhee kaa.... Brijesh jee.. Barahkhadee .. kakahra ko kahaa jata hai ... jaise ..k ka ke kee koo ku ... ityadi .. yh shrinkhala hai meri rachnaon kee .... mera manna hai ki meri rachnayen jeevan kee barahkhadee hee hai ... rahee baat abhee bhee ki to yh hm prayah prahukt krte hain .. amuk cheez abhee bhee bhai ... vaise vyakaran kee drishti se aap sahee kah rahe hain .. mai iska dhyaan rakhungi ... lau tharrakar yah bolee ki .. uske sath hee uska deen aur eemaan bhee laut gayaa ..khwaab aur khuloos bhee kho gaya. jis pr wah aankhe band krke muskurai ki vah abhee bhee hai .. bhale hee kai hajaar prakash varh door ...

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 3:10am

मर्मस्पर्शी रचना, बधाई आदरनीया गुल सारिका जी

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 11:24pm

बहुत सुंदर भाव! आपको हार्दिक बधाई इस प्रयास पर!

एक जिज्ञासा है कि यह बारहखड़ी क्या होती है? मार्गदर्शन प्रदान करें।

रचना में एक दो जगह अटकना पड़ा

//लौ थर्रा कर बोली//

लेकिन ‘क्या बोली’ यह स्पष्ट नहीं हुआ।

एक और निवेदन है कि ‘अभी भी’ जैसा शब्द उपयुक्त नहीं। ‘अब’ के साथ ‘भी’ के संयोग से ‘अभी’ बनता है। ऐसे में ‘अभी’ के साथ ‘भी’ का प्रयोग सही नहीं है।

बहरहाल, इस भावयुक्त रचना के लिए हार्दिक बधाई!

Comment by annapurna bajpai on September 4, 2013 at 11:11pm

आदरणीया गुल सारिका जी भावनात्मक रचना हेतु बधाई । 

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 10:21pm

बहुत सुन्दर दिल को छूती हुई रचना .. बहुत बहुत बधाई

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 9:26pm

ख्वाब और खुलूस भी खो गया

वह आंखे बन्द कर मुस्कुराई

वह था .. अभी भी था

यकीनन था

कई हजार प्रकाश वर्ष दूर

प्रकाश जिस सीधी रेखा से

होकर गुजरती  है

वही शायद

उसकी हथेलियों मे नही था .......///वाह वाह बहुत खूब

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया //हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service