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माँ
शब्दों में न बांधी 
जा सकने वाली परिभाषा,
कोटिश: दुखों में छिपी 
सुखों की एक अभिलाषा....
तुम्हारा आँचल 
अनंत गगन को भी, 
छोटा कर देता
तुम्हारा प्यार 
समुद्र से विशाल दुखों 
को भी कम कर देता....
कहा से समाया है ,
तुममे इतना प्यार 
इतनी ममता....
ऋणी हूँ मैं तुम्हारी
कि,
तुमने मुझे संभलकर
चलते हुए 
लड़कर जीना सिखाया....
अकाट्य सत्य है, तुम हो
सभी निराशाओं में
छिपी एक आशा.....
इच्छा है कि,
मै बन पाती 
अंश मात्र भी 
तुम्हारी परछाई.....
तो शायद ,
होती यह सारा दुनिया
मेरी मुट्ठी में समायी.....
माँ 
शब्दों में न बांधी
जा सकने वाली परिभाषा......

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Comment by Yogyata Mishra on July 8, 2011 at 11:37am
thnx raviji
Comment by Rash Bihari Ravi on July 4, 2011 at 12:00pm
माँ 
शब्दों में न बांधी
जा सकने वाली परिभाषा......
khubsurat lajabab 

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