अब तो आहट सी रहती है आवाज़ की,
Added by Yogyata Mishra on March 23, 2012 at 11:49am — 5 Comments
जो हमारे साथ होते हैं,
Added by Yogyata Mishra on March 9, 2012 at 11:16am — 6 Comments
बहुत सोचा कि लिख ही डालूँ
Added by Yogyata Mishra on February 5, 2012 at 4:00pm — 3 Comments
हर कोना शख्सियत को
Added by Yogyata Mishra on January 14, 2012 at 10:30am — 4 Comments
Added by Yogyata Mishra on January 13, 2012 at 3:00pm — 4 Comments
वफाओं के किस्सों की,
तो कोई किताब ही नहीं...
यह तो वो ज़ज्बात हैं,
जिनके लिए कोई अल्फाज़ ही नहीं...
कैसे बाँधा है किसी ने,
वफाओं को अल्फाजों में,
ये तो वो किस्से है,
जिनकी कोई जुबाँ ही नहीं...
Added by Yogyata Mishra on January 11, 2012 at 11:01am — 1 Comment
ख़ुशी पहले भी बहुत थी,
Added by Yogyata Mishra on December 29, 2011 at 12:04pm — No Comments
वो तो बड़ा अकेला था,
Added by Yogyata Mishra on December 22, 2011 at 12:45pm — 5 Comments
क्या समझू उसे
जो समझ न आता है
सिर्फ छाता चला जाता है...
दिन का जाना समझू
या दिन का आना
स्थिरता है या अस्थिरता
है एक अनसुलझी पहेली
जिसे कोई समझ न पाता है....
ये तो वो है जो
सिर्फ छाता चला जाता है..
कही तो लेकर आता है
खुशियों की सुबह
और गम का सन्नाटा
कही छा जाता…
Added by Yogyata Mishra on December 21, 2011 at 11:17am — 2 Comments
ज़िन्दगी हमे मोहताज़ नहीं बनाती है,
वो तो बस आईना दिखाती है,
मोहताज़ तो इंसान होता है,
हम ज़िन्दगी का नाम लगा देते है......
वक़्त कुछ ना है,
बस हमारी आत्मा की कमजोरी है....
आत्मा कही कमज़ोर होती है,
हम कहते है वक़्त निकल गया...
ये सिर्फ कहना है हमारा,
ऐसी सोच पर तरस आता है....
हम हाथ पैर वाले होकर
ये स्वीकारते हैं कि,
एक बिना साँस वाला वक़्त
हमे मोहताज़ बनाता ह...
Added by Yogyata Mishra on December 20, 2011 at 1:02pm — 1 Comment
गजब दशहरा आया रे
Added by Yogyata Mishra on October 6, 2011 at 9:02pm — No Comments
आँगन का एक छोटा सा
पौधा
जो बढ़ना चाहता है
छटपटाता है बढ़ने को
पर
बड़े पेड़ का बडप्पन
रोकता है उसे
टोकता है उसे
न बढ़ने देने का डर
देता है उसे
हौसला व चाहत फिर भी
जीवित है उसमे
आगे बढ़ने का साहस
निहित है उसमे
कुछ करने ललक है उसमे
एक उम्मीद
उस छोटे से पौधे की
कि
एक दिन वह छोटा सा पौधा
भी
उस बड़े से पेड़ से कही
आगे होगा
वो छोटा सा पौधा
तो बढा जा रहा है
खड़ा हो रहा है…
Added by Yogyata Mishra on August 18, 2011 at 9:12pm — 6 Comments
हर प्रश्न का हल भी वो है
और
जटिल प्रश्नों से भरी उलझन भी वो है........
क्या है वो.....
जीवन की परिभाषा वो
मृत्यु की परछाई वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन की सार्थकता भी वो है.......
क्या है वो......
बिंदिया की चमक वो
कंगन की खनक वो
शृंगार तो सजाता पहले भी था
अब शृंगार की चमक भी वो है
क्या है वो.....
दिल की धड़कन भी वो
चेहरे की ख़ुशी भी वो
ख़ुशी पहले भी थी
पर ख़ुशी की खनक भी वो
क्या है वो......
एक…
Added by Yogyata Mishra on July 27, 2011 at 5:00pm — 6 Comments
Added by Yogyata Mishra on July 4, 2011 at 11:14am — 2 Comments
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