For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत सोचा कि लिख ही डालूँ 

यादों और एहसासों को साँस दे ही डालूँ...
आई जब तन्हाई की आगोश में,
लायी जब यादों को होश में...
तब जेहन में आया किसी का जिक्र,
एहसासों का वो गुबार, 
जिसकी नहीं थी कोई फिक्र....
यादों के झरोके में पाया वो एहसास,
जिससे न थी कभी टकराने की कोई आस....
उन एहसासों को दी अल्फाजो की साँस,
उठाया लिखने को कलम,
पर पाया हमेशा शब्दों को कम...
वो बिछड़ने वाले रुदन को क्या शब्द दूँ ...
वो प्यार वाले मिलन को क्या शब्द दूँ.....
कहने को तो बहुत है पास,
पर शायद अभी कही है कोई फाँस...
रुदन हो या मिलन,
है तो सिर्फ एक अनछुआ बंधन,
जिसने शब्द तो क्या साँसों को भी बाँध दिया,
और इस जीवन के बंधन को नया नाम दिया...
आज फिर से चेष्टा की थी
एहसासों को शब्दों में बाँधने की,
आज फिर से दिल ने सोचा,
कलम को नयी दिशा देने की,
लेकिन जब बैठी तो,
फिर से एहसासों का एक जाल पाया...
लिखने बैठी तो,
एक भी एहसास कलम के साथ न आया, 
रह गया फिर से वही अनचाहा, अनसुलझा एहसास,
कभी न खत्म होने वाली एक अधूरी आस....
कभी न खत्म होने वाली एक अधूरी आस....

Views: 303

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogyata Mishra on February 6, 2012 at 7:07pm
thnx...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2012 at 12:42pm

umda rachna yogyata ji.

Comment by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 11:01am
आज फिर से दिल ने सोचा,
कलम को नयी दिशा देने की,
लेकिन जब बैठी तो,
फिर से एहसासों का एक जाल पाया...
लिखने बैठी तो,
एक भी एहसास कलम के साथ न आया, bahut khoob Yogyata ji....aapke ye ahsas....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service