For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शेर की सवारी
और ज्यादा दिन
मौत है नजदीक तेरी
गिन रहा दिनमान है,
तोड़ देगा आन तेरी
यही उसका काम है
जिन्दगी देता अगर
मौत उसका फरमान है।
कहावते और मुहावरे
बुज़ुर्ग दे गये बावरे
सुनोगे उनको
गुनोगे सबको
जीवन सफल हो जाएगा
उद्धार होगा तुम्हारा
देश भी रह जाएगा
दोस्त,
कहानियाँ गर पढ़ो तो
तो पंचतंत्र की
जीवन अमृत हो जाएगा
तू अमर हो जाएगा
साथी,
परमार्थ भी हो जाएगा ।
धर्म हो या संस्कृति
उधार की चलती नहीं,
औचित्य यदि तेरी बात में
घात फिरता फिर करता क्यूँ है
स्वदेश की माटी से तू
छोड़कर कर क्यूँ जा मिला
आतंकियों से, द्रोहियों से
स्वदेश के तू ।
झंडा हो या उसमें डंङा
देश का होना चाहिय़े,
क्षम्य नहीं हैं किसी तरह भी
माँ का चीर-हरण हो
मरा नहीं है गोरा अब भी
सिर्फ आँख बंद हैं तेरी
बन्दा बैरागी जिन्दा है,
जिन्दा हैं भगत सिंह भी,
ऊधम सिंह नहीं छोड़ेगा
कहीं भी,
जो भी करे सियासत माँ से
और मिल जाए दुश्मनों से
इतिहास साक्षी है,
मरते हैं, जयचन्द
और उनके फरज़न्द,
भैया बार-बार
लड़ाई लड़ी सुभाष ने
कर दी आर - पार
छोड़ा न बिस्तर अंग्रेजों का
और छौड़ा न उनका पाल
जय हो, जय जय तेरी महाकाल !

मौलिक एवं अप्रकाशित
04-02-2021

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on February 12, 2021 at 9:15pm

भाई, कृष 'जान गोरखपुरी मिश्रा, आदाब, यह जानकर अच्छा लगा, कई और लोग भी मेरी तरह निर्विवाद रूप अपने राष्ट्र को समर्पित हैं| आपका अशेष आभार, बंधु !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 12, 2021 at 5:57pm

झंडा हो या उसमें डंङा
देश का होना चाहिय़े,
क्षम्य नहीं हैं किसी तरह भी
माँ का चीर-हरण हो

देशप्रेम के भाव से ओत-प्रोत इस रचना पर आपको हृदयतल से अभिनन्दन आ. चेतन प्रकाश जी।

Comment by Chetan Prakash on February 12, 2021 at 7:30am

आदाब, मोहतरम जनाब, समर कबीर साहब, कविता, शीर्षक से मेरे द्वारा प्रेषित रचना आपने पसन्द की और बधाई दी, मैं इसके लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। साभार !

Comment by Samar kabeer on February 9, 2021 at 5:48pm

जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service