डूबते को जैसे तिनके का, सहारा काफी होता है
हर निराश चेहरे का, उम्मीद हीं साथी होता है
अंधेरी गुफा में जब कोई राही, अपनी राह बनाता है
आँखों से कुछ दिख ना पाए, उम्मीद पर बढ़ता जाता है
जब कोई अपना संगी-साथी, अपनों से बिछड़ जाए
और दूर तक उसके पग के, निशां ना हमको मिल पाए
तब भी ये उम्मीद हीं है, जो हमको बांधे रखती है
मिल जाएगा हमदम अपना, हरदम कहती रहती है
जब सफलता द्वार खड़ी हो, पर हमको ना मिल पाए
और विफलता आगे बढ़कर, हमको गले लगा जाए
तब भी है उम्मीद ये कहती, थकने की कोई बात नहीं
छोटी सी है कट जाएगी, ये युगों सी लंबी रात नहीं
जब कोई अपने दिल को तोड़े, या पीछे से घात करे
जिसको तुमने माना सब कुछ, वो ही तुम पर आघात करे
उस पल भी उम्मीद समझाती, सब समय का चक्कर है
आएंगे सब लौट कर एक दिन, तुझको ना लेना टक्कर है
जब कोई अपना सब कुछ खो दे, और सड़क पर आ जाए
अपने हक़ को पाने की फिर, कोई राह ना दिख पाए
तब भी बस उम्मीद है रहती, थामे अपना हाथ सदा
कहती है सब बदल जाएगा, ना होंगे ऐसे हालात सदा
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
Comment
बहुत खूब अमन जी , बड़ी अच्छी रचना हुई है , बहुत बहुत बधाई।
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