वही दिन है वही रातें जैसे वर्षों पहले थे
पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे
अब भी पुरानी तसवीरों में ऐसी है मुस्कान तेरी
जैसे कोई बांध के रख दे नज़रों से जुबान मेरी
सन्दुक में रखे कपड़े तेरे नए आज भी लगते हैं
तेरी यादों की खुशबू से महके-महके से रहते हैं
हंसी पुरानी गयी कहाँ अब तेरे कपड़े तो ऐसे ना थे
पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे
बातें करने का वो लहजा क्यों बदला सा दिखता है
अल्हड़ सी तेरी चाल में अब क्यों कोई अकड़ सा दिखता है
सूरत तेरी पहले जैसी पर भोलापन अब रहा नहीं
सीरत में भी सादापन अब पहले जैसा मिला नहीं
लगता है की शहर की वादी, तुझको रास ना आई है
पानी बदला, मौसम बदला, तुझमे भी बदल एक आई है
उपर से तु खूश है लेकिन, भीतर से तुम दुखी ना थे
पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे
कहा था मैंने तुझको उस दिन, जब तू घर से निकला था
पर मेरी करुण बातों से भी, तु थोडा ना पिघला था
ये मेरा हीं दोष है देखो, इतना जो तू बदल गया
सोचा था कि निखर जायेगा, पर तू पुरा बिखर गया
या फिर यह सब भरम है मेरा, या हम हीं हैं बदल गये
या तुम हो पहले जैसे, बस हम कहते है कि तुम बदल गये
अंदर से तुम वैसे हीं हो, पहले जैसे तुम होते थे
पर अब जैसे हम मिले हैं तुमसे, हम पहले तो ऐसे ना थे
"मौलिक व स्वरचित"
अमन सिन्हा
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