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कैसे कर लेते हो

दबा कर आँखों में आँसू यूं मुस्कुरा जाते हो तुम 

देकर खुशियाँ अपने हिस्से की हमें ग़म भुला जाते हो तुम 

कैसे अपने एहसासों को ज़ुबां पर आने नहीं देते 

दिल के बवंडर को क्यों बह जाने तुम नहीं देते 

कैसे हर बार तुम हीं अपने अरमानो को दबाते हो 

किस तरह से तुम अपने अश्कों मे गोते खाते हो 

जो छुपा के रखा है राज़ क्यूँ वो बता नहीं देते 

ख़फा अगर हो हमसे क्यूँ हमें जाता नहीं देते 

जो बताओगे नहीं हमें तो हम जानेंगे कैसे? 

तुम बस हमारे हो हम ये मानेंगे कैसे? 

बस प्यार है मुझी से ये कह भी दो 

बस इंतज़ार मेरा है ये अब कह भी दो 

ना जिया जाय तुझ बिन ये इक़रार कर लो 

फिदा बस हो मुझी पर अब इज़हार तुम कर दो दो 

कह दो मुझसे कि मैं बस तेरा ही हिस्सा हूँ

जो हूँ जैसा हूँ बस तेरा ही क़िस्सा हूँ 

क्युँ दिल की लगी को बुझ जाने नही देते 

अपने दिल के गुलिस्तां को बस जाने नही देते

छुपा के अपने सारे आँसू तुम खुशियाँ कैसे बाँट लेते हो? 

कहो यह कारनामा तुम कैसे कर लेते हो? 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा   

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