जीवन दाता ने रचा, जीवन बड़ा अनन्त
मिट्टी से आरम्भ कर, मिट्टी से दे अन्त।१।
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मिट्टी में उपजे फसल, भरे सभी का पेट
मिले इसी से जिन्दगी, मिट्टी को मत मेट।२।
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मिट्टी बढ़कर स्वर्ण से, सदा लगाओ भाल
केवल मिट्टी ही यहाँ , सब को सकती पाल।३।
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जन्म, ब्याह, पूजा, मरण, कर मिट्टी की बात
कहते फिर भी लोग नित, घट मिट्टी की जात।४।
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मिट्टी को घट बोलकर, रखते स्वर्ण सँभाल
पर मिट्टी को ही चलें, जग में चाल कुचाल।५।
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करते पंछी पेड़ सब, मिट्टी का यशगान
स्वर्ग छोड़कर ही तभी, आते भू भगवान।६।
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मिट्टी तो अनमोल है, मत कह इस को धूल।
कणकण इस का ही बने, हर जीवन का मूल।७।
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समझ किसान कुम्हार ने, इस मिट्टी का मोल
लोटपोट इस में रहे, जी भर किया किलोल।८।
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मिट्टी जन को जब लगे, जीवन का आधार
देशभक्ति के भाव को, तभी मिले अभिसार।९।
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मिट्टी की उपयोगिता, समझे मानव चाह
लड़ता जीवन भर तभी, इस के लिए अथाह।१०।
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कहते फिरते जो सदा, इस मिट्टी को हीन
दो मुट्ठी गर माँग लो, तो बन जाते दीन।११।
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मिट्टी सब को दे सदा, देश प्रेम की चाह।
मिट्टी से मत बैर कर, मिट्टी अन्तिम राह।१२।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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