दोहा एकादश. . . . जरा काल
दृग जल हाथों पर गिरा, टूटा हर अहसास ।
काया ढलते ही लगा, सब कुछ था आभास ।।1
जीवन पीछे रह गया, छूट गए मधुमास ।
जर्जर काया क्या हुई, टूट गई हर आस ।।2
लार गिरी परिधान पर, शोर हुआ घनघोर ।
काया पर चलता नहीं, जरा काल में जोर ।।3
लघु शंका बस में नहीं, थर- थर काँपे हाथ ।
जरा काल में खून ही , छोड़ चला फिर साथ ।।4
अपने स्वर्णिम काल को ,मुड़-मुड़ देखें नैन ।
जीवन फिसला रेत सा, काटे कटे न रैन ।।5
सूखा रहता कंठ अब, रहे अधूरी प्यास ।
थर - थर काँपे हाथ में, पानी भरा गिलास ।।6
बीते कल पर आज ने , ऐसा किया प्रहार ।
बेबस देखे जिंदगी, बीती हुई बहार ।।7
जरा काल में श्वांस का, देखें सभी प्रवाह ।
लगे पराई अब मुझे, सबकी रुकी निगाह ।।8
नाते चलती साँस तक, देते हैं बस साथ ।
रुकी साँस सब छोड़ते, अपना - अपना हाथ ।।9
दर्पण के लायक नहीं, झुर्री वाली देह ।
दिवस पुराने याद कर, गिरे नैन से मेह ।। 10
वृद्धों को बस दीजिए , थोड़ा सा सम्मान ।
अवसादों को छीन कर, उनको दो मुस्कान ।।11
सुशील सरना / 3-7-24
मौलिक एवं अप्रकाशित
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online