कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।
मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।
ब्रह्मसरोवर तीर पर, सजता संगम सार।
बरसे गीता ज्ञान की, मार्गशीर्ष में धार।2।
पावन अगहन मास में, करके यमुना स्नान।
अन्न वस्त्र के दान से, खुश होते भगवान।3।
चुपके - चुपके सर्द ले, मार्गशीर्ष की ओट।
स्वर्णकार ज्यों मारता, धीमी - धीमी चोट।4।
साइबेरियन सर्द में, खग करते परवास।
भारत भू पर शरण लें, मार्गशीर्ष में खास।5।
पंछी पहुँचे ताल पर, धर पाहुन का वेश।
करके कलरव दे रहे, सरदी का संदेश।6।
कुटकी कोदो बाजरा, मक्का रागी ज्वार।
मार्गशीर्ष श्री अन्न लो, सेहत का उपचार।7।
मार्गशीर्ष की भोर में, उजली मीठी धूप।
पंछी पर यों चमकते, ज्यों सोने के सूप।8।
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
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