Comment
Waaaah..........bahut khoob..........sunder anubhuti se abhivyakti tak.......sunder varnan........mubarakbad
//शिशु को भी एक पुरुष
योग्यतम पुरुष बनाने में
कई अनजान शक्तियां
अपनी ताकत लगा देती हैं
तब जाकर प्रकृति की श्रेष्ठतम रचना सामने आती है//
इस रचना में जो सनातनता अभिव्यक्त हुयी है, उसे सादर स्वीकर कर सभी लोग नम्र बनें. कितनों से किस स्तर तक लाभान्वित होना और स्वयं को आत्मनिर्भर और आत्मगठित समझना व्यक्तित्व का कैसा हल्कापन दिखाता है !
आपकी रचना में अंतर्निहित स्पष्टता को मेरी हार्दिक बधाई.
मोहिनी जी, बहुत ही उच्च भावों को आपने इस रचना में उकेरा है, खुबसूरत रचना हेतु आभार आपका |
thank u one&all for ur appreciations कुछ कमी भी रहे तो कृपया बताएं
जितनी तारीफ़ करू कम हे बहुत ही सरल शब्दो मे कितनी महत्वपूर्ण बात कही हे आपने हमारा अस्तित्व यही तो हे इसे कभी भूलना नही चाहिए.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online