For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अस्तित्व की तलाश

 

मेरी मित्र ने एक दिन कहा 
में" सेल्फ्मेड " हूँ 
में असमंजस में पड़ी रही ,
सोचती रही ,
क्या ये सच है ? 
भावो  की धारा ने झकझोरा 
एक नवजात शिशु की किलकारी ने 
अनायास ही मेरा ध्यान बटोरा
इस शिशु को बनाने वाले बीज 
कह रहे थे ,माते | हमें धारण करो
हमारा पोषण करो ,
हमें अपने रक्त से सींचो 
तभी हम अपना अस्तित्व बनाये रख सकेंगे .
जैसे  बीज बोने के बाद 
धरती उसे धारण करती है  
आकाश से पिता तुल्य सूर्य 
अपनी ऊष्मा देते हैं  ,उर्जा देते  हैं 
बदली अमृत तुल्य जल बरसाकर 
अपना प्यार लुटाती है   .
माली उसे सींचता है  अपने दुलार से 
धरती का कण -कण 
या कहें पूरी कायनात 
उस बीज की सुरक्षा में लग जाती है 
उसका अस्तित्व बचाती है  
और एक दिन बीज पेड़ बनता है  ,
मधुर पेड़ ,जिसमें 
सुंदर -सुंदर फूल खिलते हैं 
प्रकृति की अभिव्यक्ति का सबसे सुन्दर रूप 
उस दिन देखने को मिलता है .
शिशु को भी एक पुरुष ,
योग्यतम पुरुष बनाने में ,
कई अनजान शक्तियां 
अपनी ताकत लगा देती हैं   
तब जाकर प्रकृति की  श्रेष्ठतम  रचना सामने आती  है 
और यदि वह कहे की में "सेल्फमेड" हूँ  तो 
यह उसकी नादानी हे ,उसका अहंकार है 
जो एक दिन उसे वापस 
पहुंचा देगा वहीँ   ,उसी निचले धरातल पर 
जहाँ उसका अस्तित्व 
फिर-फिर अभिव्यक्ति की तलाश में होगा |
मोहिनी चोरडिया 

 

 

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by fauzan on September 6, 2011 at 1:54pm

Waaaah..........bahut khoob..........sunder anubhuti  se  abhivyakti  tak.......sunder varnan........mubarakbad


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 4, 2011 at 7:30pm

//शिशु को भी एक पुरुष

योग्यतम पुरुष बनाने में

कई अनजान शक्तियां

अपनी ताकत लगा देती हैं

तब जाकर प्रकृति की श्रेष्ठतम रचना सामने आती है//

 

इस रचना में जो सनातनता अभिव्यक्त हुयी है, उसे सादर स्वीकर कर सभी लोग नम्र बनें. कितनों से किस स्तर तक लाभान्वित होना और स्वयं को आत्मनिर्भर और आत्मगठित समझना व्यक्तित्व का कैसा हल्कापन दिखाता है !

आपकी रचना में अंतर्निहित स्पष्टता को मेरी हार्दिक बधाई.

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2011 at 5:42pm

मोहिनी जी, बहुत ही उच्च भावों को आपने इस रचना में उकेरा है, खुबसूरत रचना हेतु आभार आपका |

Comment by mohinichordia on September 3, 2011 at 3:23pm

 thank u one&all for ur appreciations कुछ  कमी भी रहे तो कृपया बताएं  

Comment by monika on September 1, 2011 at 5:07pm

जितनी तारीफ़ करू कम हे बहुत ही सरल शब्दो मे कितनी महत्वपूर्ण बात कही हे आपने हमारा अस्तित्व यही तो हे इसे कभी भूलना नही चाहिए.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service