बाक़ी रहा न मैं, न ग़मे-रोज़गार मेरे.
अब सिर्फ़ तू ही तू है परवरदिगार मेरे.
यारब हैं सर पे आने को कौन सी बलायें,
क्यूँ आज मेरी क़िस्मत है साज़गार मेरे.
बरसेगी और तुझपे ? उनके करम की बदली,
तेरा कहाँ मुक़द्दर दिले-रेगज़ार मेरे.
सज्दे में सर किया है जिसने क़लम हमारा,
दे उम्रे-ख़ि़ज़्र उनको ऐ कर्दगार मेरे.
इक ज़िंदगी की बाज़ी थी हुस्न के मुकाबिल,
सो वो भी हार बैठा दिले-बदक़िमार मेरे.
हैं आज हसरतों के वहीं पर मज़ार यारो,
कल तक जहाँ हरे थे ये चमनज़ार मेरे.
मेरे तसव्वुरात से गर वो नहीं हैं गुज़रे,
फिर क्यूँ दिलो-ज़हन हैं यूँ मुश्कबार मेरे.
जिनके करम से दिल है यूँ दाग़-दाग़ अपना,
क्या कहिये कभी वोही थे ग़मगुसार मेरे.
दमे-आख़िरी है उनको आना पड़ेगा 'साबिर'
पिछले जनम के उनसे कुछ हैं क़रार मेरे.
[26/02/1991]
Comment
सुन्दर ख्यालात हैं दत्त साहेब ...................... बधाई
इक ज़िंदगी की बाज़ी थी हुस्न के मुकाबिल,
सो वो भी हार बैठा दिले-बदक़िमार मेरे.
बहुत खूब दत्त साहब, बहुत ही खुबसूरत नज़्म प्रस्तुत किया है आपने, भाव प्रधान रचना हेतु आभार आपका |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online