For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी प्यारी सी सूरत 

ममता की मूरत 

तेरी आँखों से झरती करुणा

स्नेह का झरना

माँ! तेरी आँखों से झरती वो करुणा,

कब, मेरे अन्दर रिस गई,

मैं नहीं जान पाई?


बचपन में जब मैनें गीले किये, कपड़े तेरे

तू हर्षाई

पहली बार दो कदम चली मैं

तू मुस्कुराई

माँ! तेरी वो मुस्कुराहट,

कब मेरी आँखों में उतर गईं,

मैं नहीं जान पाई?


मेरी बीमारी में छोड़ी ना तूने पलंग की पाटी

कई रातें गुज़ार दीं उसे तकिया बनाकर,

कई मन्नते मांगीं, कई प्रार्थनाएँ कीं,

तेरी उम्र मुझे लग जाने की,

और माँ! तेरी ममता की जीत हुई, मौत हार गई

छोड़नी पड़ी मेरी अंगुली उसे

माँ! तेरी वो प्रार्थनाएँ कब मेरी सांसों में घुलीं,

मैं नहीं जान पाई?


कई विकट परिस्थितियों ने, जब मुझे तोड़ा,

कई अपनों ने व्यंग्य बाण छोड़ा, तब,

तब, बनकर मेरी ढाल, तूने, सहे सभी प्रहार

तेरा वो मुझे गले लगाना, भगवान का रूप दिखाना,

माँ! तेरा वो रूप कब मेरे अन्दर उतर गया,

मैं नहीं जान पाई?

 

आज मैं भी माँ बनी हूँ,

विरासत में मिले तेरे वो संस्कार

में भी निभा सकूं

मेरे बच्चे भी उन्हें सोखलें, सहेज लें

बस यही आशीर्वाद चाहती हूँ,

आशीर्वाद में उठे तेरे वो हाथ,

माँ! कब मेरे जीवन की धरोहर बन गये,

मैं नहीं जान पाई?


माँ! तेरी ममता को प्रणाम

यह निःशब्द यात्रा ममता की

युगों तक चलती रहे,

यह अटल आस्था ममता की

युगों तक बनी रहे,

जब तक इस दुनियाँ में माँ , तू ज़िन्दा रहे ।


  • मोहिनी चोरडिया 

Views: 352

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2011 at 4:21pm

मोहिनी जी, माँ जितना हमारे लिए करती है उसका मोल हम कभी नहीं चुका सकते, माँ खुद दर्द सह लेती है पर बच्चो पर आंच भी आने नहीं देती, नहुत ही भावनात्मक रचना रची है आप, बधाई स्वीकार करे | 

Comment by आशीष यादव on September 23, 2011 at 3:50pm

माँ का स्वरुप कितना प्यारा होता है| कितने दुखों को वो ऐसे सहती है जैसे उसमे उसे अपर सुख मिलता है| आपने माँ की कई बातों का जिक्र किया की कब माँ क्या-२ करती है अपने बच्चों के लिए|

सच में माँ महान नहीं बहुत महान होती है| 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया रिचा जी,  आपकी प्रस्तुति का हार्दिक स्वागत है. आपके अश’आर पर जहाँ जैसी आवश्यकता…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"यही तो रचनाधर्मिता है. न कि मात्र रचनाकर्म.  आपके कहे का स्वागत है. शुभातिशुभ"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुति में जान है. परन्तु, इसका फड़फड़ाना भी दीख रहा है हमें. यह मुझे एक…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ भाई, ग़ज़ल पर चर्चा होती हैं तो सामान्यत: अरूज़ के दोष तक सीमित रह जाती हैं। मेरा मानना…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज जी, मंच पर वाद-विवाद या अन्यथा बकवाद से परे एक दूसरे के कहे पर होती सार्थक चर्चा ही…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"व्याकरण की दृष्टि से कुछ विचार प्रस्तुत हैं। अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे…"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छी कहन है अजेय जी, शिल्प और मिसरो में रवानी और बेहतर हो सकती है। गिरह का शेर इस दृष्टि से…"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छी ग़ज़ल हुई है ऋचा जी। कुछ शेर चमकदार हैं, पर कुछ चमकने से रह गए। गिरह ठीक लगी है। /दुश्मन-ए-जाँ…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी से कुछ बारीक बातें सीखने को मिली। आपकी सलाह के अनुसार ग़ज़ल…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service