For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

अंक 6 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

-------------- अंक - 7 --------------

  प्रबल बाबू की खामोशी यह बता रही थी कि उनके भीतर विचारों का सैलाब उमड़ रहा है. कहीं नेक विचार उनके भीतर के जग रहे शैतान को पराजित न कर दे, यह सोचकर अध्यक्ष ने उनकी स्वार्थपरता को हवा देना जारी रखा. ........ 'आज समाज में आपकी प्रतिष्ठा है, आपके पास बंगला - मोटर, नौकर - चाकर क्या नहीं है ? ' ............ उमाकांत जी को पता था कि सिंह साहेब के पास बाप -दादाओं की छोड़ी हुई कोई बड़ी सम्पति नहीं है. ................. उमाकांत जी ने अपना धाराप्रवाह व्याख्यान जारी रखा - ' प्रबल बाबू ! मैं जानता हूँ, आप निष्कपट, निश्छल और सरल ह्रदय के सज्जन व्यक्ति हैं. सच मानिए, मैं आपका शुभेच्छु हूँ .................... कल जब आप मंत्री नहीं होंगे, तो क्या ये आदर्श, ये विचार आपके परिवार को एक वक़्त का भोजन दे सकते हैं   ?............यह दुनिया उसीके सामने  झुकती है सिंह साहेब, जिसका समाज में स्टेटस होता है .............. मैं ये नहीं कहता कि लोगों की  मदद न करें, जनहित एवं लोकहित की  भावना न रखें ............. बस मैं ये कहना चाहता हूँ कि व्यावहारिक बनिए ................... नैतिकता अभाव की संतान है किन्तु, आपको तो किस्मत ने सब कुछ दिया है प्रबल बाबू. आप जन नेता होने के साथ एक पिता भी हैं, क्या आपको शौक नहीं होगा कि आपकी बेटी किसी रईस और सम्पन्न घराने की  बहु हो ? ........... बेटा विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करे ? मैं आपके बड़े भाई के समान हूँ, गलत सलाह नहीं दूंगा.' अध्यक्ष महोदय के व्यक्तिवादी भाषण की  आशातीत प्रतिक्रया हुई. आज का इंसान इस कदर कमजोर हो चुका है कि स्वार्थ से टक्कर होते ही टूट जाता है. संगत से गुण होत है - संगत से गुण जात, ये कहावत एक बार फिर अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करने जा रही थी. पता नहीं, वो लोग कैसे होते हैं, जिनके लिए कहा गया है कि चन्दन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग. प्रबल प्रताप सिंह का चरित्र - निर्माण करनेवाले तत्वों में ही शायद कोई खोट थी.

          प्रबल प्रताप सिंह को अब यही सोचना हितकर लग रहा था कि उनका इकलौता पुत्र विदेशों में शिक्षा ग्रहण करके उनका नाम रौशन करे - बिटिया शीला किसी बड़े घराने की  बहु बने और इन सपनों को मूर्त रूप देने के लिए नैतिकता की  नहीं - संपदा की  आवश्यकता होगी. इंसान जैसा सोचता है - स्थितियाँ वैसी ही नज़र आती हैं. गोस्वामी जी की कल्पना साकार हो रही थी कि - जाके ह्रदय भावना जैसी, प्रभु मूरत देखि तिन तैसी. इंसान के भीतर का शैतान अनुकूल वातावरण पाते ही अंगड़ाई लेकर जाग उठता है.  .............. (क्रमश:)

अंक 8 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on November 5, 2011 at 4:56pm
कहानी की विवेचना एवं हौसला अफजाई के लिए दिल से आभार अरुणजी 
Comment by Abhinav Arun on November 5, 2011 at 1:43pm

त्यागपत्र में वर्तमान सामाजिक परिवेश और उसकी विसंगतियां प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त  हो रही हैं सतीश जी ! इस विस्तृत फलक की परिकल्पना और प्रस्तुति के हार्दिक साधुवाद !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service