आदरणीय योगराज प्रभाकर जी द्वारा इस मंच पर लाई गई इस विलुप्तप्राय विधा से प्रेरित हो मैंने भी चरणबद्ध तरीके से एक बेटी से सम्बंधित कटु सत्यों को रेखांकित करने प्रयास किया है ! वरिष्टजनों का मार्गदर्शन चाहूँगा !
छन्न पकैया छन्न पकैया सबकी है मत मारी
सर को पकड़े बैठ गए सुन बेटी की किलकारी
छन्न पकैया छन्न पकैया छीना है हर मौका
छोड़ पढाई नन्ही बेटी, करती चूल्हा चौंका
छन्न पकैया छन्न पकैया जीवन भर भरमाए
और पराया धन कह कर उसको परदेश पठाए
छन्न पकैया छन्न पकैया छोड़ा पी का आंगन
नई बहुरिया नव आंगन में ढूंढ रही अपनापन
छन्न पकैया छन्न पकैया सोच सोच मुरझाई
उसे छोड़ के देख रहे सब क्या दहेज में लाई
छन्न पकैया छन्न पकैया जिसको अपना माना
उसी पिया के आंगन देखो मिलता नही ठिकाना
छन्न पकैया छन्न पकैया वो दिन सबसे काला
जब अपनों ने ही उसको दे दी दहेज की ज्वाला
छन्न पकैया छन्न पकैया जग आधार बनेगी
इसे संभालो ये ही हमारा नया भविष्य जनेगी
छन्न पकैया छन्न पकैया ये समाज अब जागे
माँ न रहेगी कुछ न रहेगा ये मत भूल अभागे
छन्न पकैया छन्न पकैया आओ मिल के ठाने
बेटी भी हिस्सा गुलशन का उसको अपना माने
.............................................. अरुन श्री !
Comment
सार्थक अभिव्यक्ति से भारी एकसुंदर छन पकैया |
एक बात कहनी पड़ेगी योगराज जी के सानिध्य से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। पहले मैने कहमुकरियाँ सीखी थी आज छन्न पकैया। उन्हे मेरा शत-शत प्रणाम। मै इतना समय नही निकाल पाती हूँ लेकिन इतना जानती हूँ जब भी ऑपन बुक ऑनलाइन हुई हर बार कुछ न कुछ प्राप्त ही हुआ...बहुत ही सुंदर छन्न पकैया लिखे हैं आपने अरून जी।
छन्न पकैया... छन्न पकैया...!!
वाह....अरुण भाई...वाह...क्या लिखा है आपने...वाह...खूब...! बहुत खूब...!!
बागी सर , आभार ओ बी ओ मंच का और विशेष आदरणीय योगराज सर का जो सच्चे अर्थों में साहित्य की सेवा करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हैं ! आप सब का प्रयास निश्चित ही इस विधा को साहित्य जगत में उचित और ऊँचा स्थान दिलाएगा ! आपकी प्रतिक्रिया ने मेरा मान बढ़ाया ! आपको सादर धन्यवाद !
अरुन जी, छन् पकैया छंद को लुप्तप्राय कहना ठीक नहीं है, यह विधा लुप्तप्राय न होकर मृतप्राय है, जिसे ओ बी ओ पर जिन्दा करने का सफल प्रयास आदरणीय प्रधान संपादक श्री योगराज प्रभाकर जी द्वारा किया गया और उसी कड़ी में आपकी यह खुबसूरत रचना संजीवनी का काम करेगी, बहुत ही उम्दा रचना आपने प्रस्तुत की है, संदेशपरक इस रचना पर कोटिश: आभार |
आगे भी आपकी रचनाएँ और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों का स्वागत रहेगा |
आपका धन्यवाद अभिनव सर ! आप जैसे वारिष्ट की प्रतिक्रिया ने गौरवान्वित किया !
हबीब सर , आपकी सराहना मेरी सृजन शक्ति के लिए उर्वरक का काम करेगी !
सौरभ सर , सुना था कि उतना ही लिखना चाहिए जितना अनुभव किया हो ! मैंने भी वही लिखा जो मैंने अनुभव किया ! आपकी प्रसंशा ने पारस का कार्य किया मेरी रचना के लिए !
धन्यवाद मोहिनी मैम , शशि प्रकाश सैनी सर और सतीश सर ! आप सब की अमूल्य प्रतिक्रिया ने मेरा मनोबल बढ़ाया !
सबसे पहले धन्यवाद ओ बी ओ की कार्यकारिणी समिति को जिन्होंने कुछ वाक्य त्रुटियों को दूर किया ! तदुपरांत आदरणीय योगराज प्रभाकर सर का जिन्होंने इतनी विस्तृत चर्चा की ! हर छंद पर दृष्टी डाली और उन्हें सार्थक कर दिया ! प्रणाम आपको सर !
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