ये दुनिया गोल है
यहाँ बड़ा ववाल है
हर चीज का मोल है
बड़ा गोलमाल है l
बातों में तो मिश्री
मन में कोई चाल है
है बहेलिया ताक में
बिछा के बैठा जाल है l
कहीं ताल लबालब
कहीं पड़ा अकाल है
क्यों इतना अन्याय
उठता रहा सवाल है l
कर पायें आपत्ति
ऐसी कहाँ मजाल है
बात-बात में लोगों की
खिंच जाती खाल है l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
सतीश जी, आपके सराहनीय कमेन्ट के लिये बहुत-बहुत धन्यबाद.
कर पायें आपत्ति
ऐसी कहाँ मजाल है
बात-बात में लोगों की
खिंच जाती खाल है l
नीरज जी, आपकी प्रेरणादायक टिप्पणी के लिये हार्दिक धन्यबाद.
मनोज जी, सराहना के लिये हार्दिक धन्यबाद.
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