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नया साल, नयी उम्मीदें

करवट लेता है नया साल

आओ कुछ उम्मीदें कर लें   

अरमानों के कुछ बूटों को

दामन में हम अपने सी लें l

 

नेकी हो भरी दुआओं में

मायूस ना हो कोई चेहरा 

जीवन हो शांत तपोवन सा

खुशिओं का रंग भरे गहरा l

 

ना आग बने कोई चिंगारी

ना आस बने कोई लाचारी

जग में फैला हो अमन-चैन 

ना कहीं भी हो कोई बेगारी l

 

ओंठों पे खिली तबस्सुम हो

हर दिल में नूर हो इंसानी 

आँखों में रोशन हों उम्मीदें 

नफरत हो सबसे अनजानी l

 

हो ताकत आँधी सी बाहों में  

रोशनी हो झिलमिल राहों में 

ना ऐसा कहीं हो कोई दिल    

जो कहीं ढूँढे सुकूं गुनाहों में l

 

-शन्नो अग्रवाल  

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