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बड़ॆ खराब हॊ,,,,
---------------------
कद से बढ़ कर हाज़िर जवाब हो!
अकेले गज़ल की पूरी किताब हॊ !!

तुम्हे खिज़ाब लगाने की क्या पड़ी,
रंग-रूप से तॊ पैदाइशी खिज़ाब हॊ !!

वक्त की आँधियों ने क्या बिगाड़ा है,
खिले गुलाब थे अब सूखे गुलाब हॊ !!

इस उम्र मे भी आ रहे हैं मिस काल,
मोहब्बत के मामले मॆं कामयाब हॊ !!

हमने तो महज़ सितारा समझा था,
मगर आप तो दहकते आफ़ताब हो !!

हसीं का कतरा तलाश रहे हैं लोग,
आप तो लबलबाये हुये तालाब हो !!

जिसकी तारीफ़ में, सुनाये ये शेर,
उसी ने कहा "राज" बड़े खराब हो ॥


        कवि-राज बुन्देली,,,,,,,

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Comment

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 24, 2012 at 11:34am

आप सभी को प्रणाम,,,,,,,,,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 21, 2012 at 11:32pm

जिसकी तारीफ़ में, सुनाये ये शेर,
उसी ने कहा "राज" बड़े खराब हो ॥..........  अय -हय .. क्या महीनी निखर के आयी है !!. बहुत खूब !

इसके अलावे इस शे’र ने भी प्रभावित किया है -

हसीं का कतरा तलाश रहे हैं लोग,
आप तो लबलबाये हुये तालाब हो ..

अंदाज़ अच्छा लगा है. 

वैसे एक सुझाव है, हम कास्ट-कलर-क्रीड को बचा कर कहा करें.  हँसने-मुस्कुराने के क्रम में हम उन आयामों को न छुआ करें जिनपर एक व्यक्ति के तौर पर उन इंगितों का बस नहीं होता.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 21, 2012 at 4:35pm

वाह वाह मजाहिया ग़ज़ल का उत्कृष्ट नमूना , सभी शेर बड़े ही अच्छे निकाले है इस कामयाब प्रस्तुति पर दाद कुबूल करे |

कृपया ध्यान दे...

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