For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बड़ॆ खराब हॊ,,,,
---------------------
कद से बढ़ कर हाज़िर जवाब हो!
अकेले गज़ल की पूरी किताब हॊ !!

तुम्हे खिज़ाब लगाने की क्या पड़ी,
रंग-रूप से तॊ पैदाइशी खिज़ाब हॊ !!

वक्त की आँधियों ने क्या बिगाड़ा है,
खिले गुलाब थे अब सूखे गुलाब हॊ !!

इस उम्र मे भी आ रहे हैं मिस काल,
मोहब्बत के मामले मॆं कामयाब हॊ !!

हमने तो महज़ सितारा समझा था,
मगर आप तो दहकते आफ़ताब हो !!

हसीं का कतरा तलाश रहे हैं लोग,
आप तो लबलबाये हुये तालाब हो !!

जिसकी तारीफ़ में, सुनाये ये शेर,
उसी ने कहा "राज" बड़े खराब हो ॥


        कवि-राज बुन्देली,,,,,,,

Views: 311

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 24, 2012 at 11:34am

आप सभी को प्रणाम,,,,,,,,,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 21, 2012 at 11:32pm

जिसकी तारीफ़ में, सुनाये ये शेर,
उसी ने कहा "राज" बड़े खराब हो ॥..........  अय -हय .. क्या महीनी निखर के आयी है !!. बहुत खूब !

इसके अलावे इस शे’र ने भी प्रभावित किया है -

हसीं का कतरा तलाश रहे हैं लोग,
आप तो लबलबाये हुये तालाब हो ..

अंदाज़ अच्छा लगा है. 

वैसे एक सुझाव है, हम कास्ट-कलर-क्रीड को बचा कर कहा करें.  हँसने-मुस्कुराने के क्रम में हम उन आयामों को न छुआ करें जिनपर एक व्यक्ति के तौर पर उन इंगितों का बस नहीं होता.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 21, 2012 at 4:35pm

वाह वाह मजाहिया ग़ज़ल का उत्कृष्ट नमूना , सभी शेर बड़े ही अच्छे निकाले है इस कामयाब प्रस्तुति पर दाद कुबूल करे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service