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नहीं आती,,,,,,,,
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क्रिकॆटर हॊ तॊ जातॆ मगर, बैटिंग नहीं आती ॥
इन्टरनॆट पर भाई हमकॊ, चैटिंग नहीं आती ॥१॥

वॊ क्वांरॆ हैं अब तलक, दिल कॊ दबायॆ बैठॆ हैं,
बद-किस्मती सॆ बॆचारॆ कॊ, सैटिंग नहीं आती ॥२॥

चूल्हा तॊ अपना भी,जल गया हॊता कभी का,
दिक्कत यॆ है कि अपुन कॊ,रैटिंग नहीं आती ॥३॥

आती हैं हसीनायॆं फ़िर,फ़िसल जाती हैं हांथ सॆ,
पकड़ॆं भी तॊ कैसॆ जब हमॆं,स्कैटिंग नहीं आती ॥४॥

उसकॆ बाप कॊ दॆखा हमनॆ,तॊ दिल नॆ यॆ कहा,
निकल लॆ भीड़ू तुझकॊ तॊ, फ़ैटिंग नहीं आती ॥५॥

यूं तॊ मिस कॉल आतॆ हैं,तमाम हमॆं भी "राज",
ज़ॆब खाली हॊनॆ सॆ एक भी, डैटिंग नहीं आती ॥६॥

कवि-राज बुन्दॆली
१९/०१/२०१२

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 24, 2012 at 11:27am

धन्यवाद,,,,,,,,,,आशिष बनायॆ रखियॆ,,,,

Comment by आशीष यादव on January 21, 2012 at 1:05pm
Badhiya prayog. She'r achchhe lge.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 21, 2012 at 10:54am

आदरणीय राज बुन्देली जी, सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने, अंग्रेजी शब्दों को काफिया बनाना आसान नहीं है, किन्तु आपने बढ़िया निभाया है, सभी शेर अच्छे लगे, तीसरे शेर में मैं रैटिंग समझ नहीं सका जिससे इस शेर का कहन अस्पष्ट रहा, दाद कुबूल करे |

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