मांगी जो उनसे जिगर में पनाह हमने ||
देखें ऐसे जो किया हो गुनाह हमने ||
आज तक न मिला मुहब्बत सा बहर गहरा,
देखे लाखों बहर गहरे अथाह हमने ||
हमको उसने भी दिया ना जवाब कोई ,
जब भी मांगी ज़िन्दगी में सलाह हमने ||
वो कोशिश करते रहे रुसवा करने की ,
जिसको भी बनाया उंस का गवाह हमने ||
अब अच्छी लगती नहीं ये महफ़िल हमको ,
तन्हाइयों से किया है निकाह हमने ||
लोग तरसते हैं जिसे देखने की खातिर ,
किस्मत से पाया "नजील"अल्लाह हमने
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