१ २ २ २ १२ १ २२२
बड़ी मुश्किल उसे मनाया है ॥
बहुत कुछ दांव पे लगाया है ॥
किसे कहते कि बेवफा है वो ,
हँसा हम पे जिसे बताया है ॥
बसा दिल-ओ-दिमाग में वो ही ,
अचानक सामने जो आया है ॥
लगे ऐसा हमें खुदा ने उसे ,
हमारे के लिए बनाया है ॥
हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥
कहाँ होशो-हवास की बातें ,
किसी पे जब शबाब आया है ॥
लगे है वो पवित्र गंगा सा ,
करिंदा जो पसीने से नहाया है ॥
मौलिक /अप्रकाशित
Added by Nazeel on April 7, 2015 at 9:30pm — 15 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
जिंदगी मेरी कहाँ जाके गई है तू ठहर ॥
ले गई है फिर वहां ,जो छोड़ आया था शहर
है खुदा भी एक ,एक ही आसमां , एक ही ज़मीं
सरहदों पर किस लिए हमने मचाया है कहर
मारता आया है बरसों बाद भी अक्सर हमें ॥
घुल गया था जो दिलों में लकीरो का जहर
भूल कर भी भूल सकता हूँ भला कैसे उसे ,
वो सताए है मुझे यादों में शामो - सहर
वायदा करके नहीं आये अभी तक क्यों भला ,
यूँ अकेला बैठ…
Added by Nazeel on April 1, 2015 at 8:44pm — 16 Comments
२२१२ २२१२ २२१२
खामोश से रहने लगे हैं आजकल ॥
हम रात भर जगने लगे हैं आजकल ॥
इन महफ़िलों को क्या हुआ किसको पता ,
सब चेहरे ढलने लगे है आजकल ॥
सदियों से लूटा है खुदा के नाम पे ,
तो कब नया ठगने लगे है आज कल ॥
निभते नहीं हैं जो सियासत में कभी ,
वो वायदे गिनने लगे हैं आज कल ॥
कैसे कहें , कितना चाहें हैं उसे ,
बस सोच के डरने लगे हैं आज कल ॥
मालूम होता तो बता पाते तुझे ,
वो दूर क्यों हटने…
Added by Nazeel on March 21, 2015 at 9:30pm — 10 Comments
2222 1222 1222
लोगों को लूटने का फ़लसफ़ा होता ||
तो अपने नाम पर बाबा लगा होता ||
तूं तूं - मैं मैं न होती इस कदर हम में ,
तेरा मेरा अगर इक रास्ता होता ||
माना होता खुदा को एक हमने तो ,
फिर घर न कोई किसी का जला होता ||
उनको आया नज़र फर्के- लिबासां ही ,
काश !ये इक रंग का खूं भी दिखा होता ||
फिर मैं भी मानता परवाह है उसको ,
ग़र आंसू पोंछ बांहो में कसा होता ||
समझौता कर लिया हालात से…
ContinueAdded by Nazeel on March 15, 2015 at 8:00pm — 11 Comments
भूला कहाँ हूँ कच्चा घर अपने गाँव का ||
जो बना था लकड़ी का दर अपने गाँव का ||
थी वो महकती मिटटी और वो कच्ची गली ,
घूमे ख़्यालों में मंज़र अपने गाँव का ||
आँखे हुई नम , देखकर पानी बरसात का ,
जो याद आये जोहड़ अक्सर अपने गाँव का ||
जब…
ContinueAdded by Nazeel on March 3, 2012 at 7:00pm — 11 Comments
मांगी जो उनसे जिगर में पनाह हमने ||
देखें ऐसे जो किया हो गुनाह हमने ||
आज तक न मिला मुहब्बत सा बहर गहरा,
देखे लाखों बहर गहरे अथाह हमने ||
हमको उसने भी दिया ना जवाब कोई ,…
Added by Nazeel on February 6, 2012 at 8:10pm — No Comments
Added by Nazeel on January 31, 2012 at 4:30pm — 5 Comments
Added by Nazeel on January 21, 2012 at 7:45pm — 6 Comments
मुश्किल में एजद की रहमत साथ दे अगर |
तो छू लें बुलंदी हम ,किस्मत साथ दे अगर ||
मिट जाएगा झूठ हमारी कायनात से ,
बस हमको इक बार सदाकत साथ से अगर…
Added by Nazeel on January 17, 2012 at 12:30pm — 4 Comments
जब भी तुझको पाने का ख्याल आए |
पाए किस तरह ज़हन में सवाल आए ||
.
छोड़ कर हिया वो आ लगे गले से ,
जब उनसे हम पूछने उनका हाल आए |
.
बिन उनके तो हम बैठे रहें बुझे से ,
उन्हें देख कर सूरत पे…
Added by Nazeel on January 7, 2012 at 12:00pm — 3 Comments
जैसे -जैसे दिन गुजरते चले गए |
वो मेरे दिल में उतरते चले गए ||
याद दिलाने की कोशिश की है मगर ,
वो इन वादों से मुकरते चले गए |
औरों को देते थे सलाह, मगर खुद ,…
Added by Nazeel on December 30, 2011 at 1:56pm — 2 Comments
हर दिन ज़िन्दगी से जूझता हूँ |
हर मोड़ पर मंजिलें ढूढता हूँ ||
.
वो रूठ जाते हैं बेवजह ही ,
उनसे भला मैं कब रूठता हूँ |
.
मजबूरी का बनके पासबां मैं ,
अरमान अपने ही लूटता हूँ |
.
अपना गम छुपाने के लिए अब,
मैं हाल औरों से पूछता हूँ |
.
मैं आज नफरत के दौर में भी,
तेरी उल्फ़त कहाँ भूलता हूँ |
.
हर बार फिर उठता हूँ मैं ,चाहे ,
दिन में कई बारी टूटता हूँ ||
Added by Nazeel on December 24, 2011 at 4:00pm — 6 Comments
माहो-अख्तर के बिना आसमां हूँ मैं ,
.यादों की बिखरी हुई कहकशां हूँ मैं |
अपने खूं से लिखी हुई दास्ताँ हूँ मैं |
पढने वालों के लिए इम्तहाँ हूँ मैं |
.
चाहे जिसको लूटना ये ज़हाँ सारा…
ContinueAdded by Nazeel on December 15, 2011 at 12:00pm — 4 Comments
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