मुश्किल में एजद की रहमत साथ दे अगर |
तो छू लें बुलंदी हम ,किस्मत साथ दे अगर ||
मिट जाएगा झूठ हमारी कायनात से ,
बस हमको इक बार सदाकत साथ से अगर ,|
फिर गम आयेंगे पास हमारे भला क्यों ,
हमको मुस्काने की फितरत साथ दे अगर ||
उनकी खातिर तो हम लड लेंगे जहान से ,
बस उनको पाने की हसरत साथ दे अगर ||
नाकाम नहीं होगी अब कोशिश "नज़ील" की ,
जीतेंगे नफरत को, उल्फ़त साथ दे अगर ||
Comment
धन्यवाद राज जी .....हौसला बढाने हेतु हार्दिक आभार ...:-)
khoob hai g !! उनकी खातिर तो हम लड लेंगे जहान से ,
बस उनको पाने की हसरत साथ दे अगर || achha laga !
धन्यावाद आदरनीय प्रभाकर जी ... उत्साहित करने हेतू हार्दिक आभार ..
अच्छे अशआर कहे हैं नबील भाई - मुबारकबाद.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online