जैसे -जैसे दिन गुजरते चले गए |
वो मेरे दिल में उतरते चले गए ||
याद दिलाने की कोशिश की है मगर ,
वो इन वादों से मुकरते चले गए |
औरों को देते थे सलाह, मगर खुद ,
आशिक बन कर हम उजड़ते चले गए |
बिछुड़े तो उनके होंठ कांपते रहे ,
आँखों से आंसू उभरते चले गए |
चाहे कितना बिगड़े ,मगर "नजील" हम ,
उनकी सुहबत में सुधरते चले गए ||
Comment
धन्यवाद किरण जी ...हार्दिक आभार ...:-)
नजील जी वाह बेहतरीन भाव..........हार्दिक बधाई.........
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