For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kiran Arya
  • Female
  • Delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

Kiran Arya's Friends

  • Manav Mehta
  • Priyanka singh
  • Neelima Sharma Nivia
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
  • deepti sharma
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • pardeep yadav
  • राज़ नवादवी
  • VISHAAL CHARCHCHIT
  • Nutan Vyas
  • Nazeel
  • aashukavi neeraj awasthi
  • satya upadhyay
  • mohinichordia
 

Kiran Arya's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Delhi
Native Place
Delhi
Profession
Computer Analyst in JNU.
About me
अपनी सोच को सकारत्मक सोच संग विकसित करने की कोशिश करती एक साधारण महिला............

Kiran Arya's Blog

मेरे हमसफ़र

उदास सी थी वो सहर

खामोश स्तब्ध शाम थी

हवा भी कुछ रुकी सी थी

राहों की वो विरानियाँ

आँख में गई ठहर.....



एहसासों की एक लहर

यादों के नर्म बिछोने सी

विरह के लिए खिलोने सी

इश्क की रवानियाँ

रूह को सहलाए हर पहर.....



नदी से निकले एक नहर

अपनी ही धुन में बहती सी

विरक्ति को हाँ सहती सी

छोड़ गई निशानियाँ

दर्द बन गया जहर......



तुझ बिन सूना दिल का शहर

पलकें नम झुकी सी थी

आहटें खटकती सी थी …

Continue

Posted on December 11, 2013 at 2:30pm — 1 Comment

मेरे कुछ दोहे

१.

मात पिता तो बोझ सम, आपन पूत सुहाय ।

जियबे पर ...पानी नही, मरे गया लइ जाय ॥

२.

धूल संस्कृति फाँकती, ....संस्कार हैं रोय ।

अंधी दौड़ विकास की, मानो सबकुछ होय॥

३.

है विवेक तो तनिक नहिं, शब्दन की भरमार।

अधकचरा से ज्ञान पर,...... हिला रहे संसार॥

४.

ज्ञान समुन्दर उर बसै, फिर भी भटकय जीव।

मन ना बस में करि सकै, ..तन जैसे निर्जीव॥

५.

देख मनुष का गर्व यों, ..सोच रहे भगवान ।

धरा नरक बन जाय जो, सारे होयँ समान…

Continue

Posted on December 9, 2013 at 1:00pm — 17 Comments

आस की कश्तियाँ

मायूसियों ने आज फिर दस्तक दी

खयालो के बंद दरवाजो से निकल

मन के आँगन में बिखरने को

बेताब सी मायूसियाँ

लेकिन आस की एक लौ

जिससे रोशन है दिल की बस्तियाँ

मुस्कुरा के बोली बुझने ना देना मुझे

जीवन में आयेंगे कठोर थपेड़े

वक़्त की आंधियों में

हमने मिटती देखी हैं

इन थपेड़ो की गिरफ्त में कई हस्तियाँ

जिंदगी की उलझनों से…

Continue

Posted on September 13, 2012 at 1:30pm — 20 Comments

दिल मेरा

हमको यह गुमा था की हम है दिलो के खरेदार…

Continue

Posted on January 20, 2012 at 3:19pm — 4 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:40pm on December 10, 2012, vijay nikore said…

तुम लगे सोचने ख़त्म करने को सिलसिला आवाजाही का

तब तक मन का जीव मुक्त हो चुका था हर आजमाइश से

किरण जी, बहुत खूब... बहुत खूब!

विजय निकोर

At 12:45am on April 9, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

तुम एक और आजमाइश संग खड़े मुस्काते नज़र आये

हम फिर जुट गए उस पर खरा उतरने की जुगत में

जब होने लगा यकीन तुम्हे प्यार पे मेरे आजमयिशो से परे

तुम लगे सोचने ख़त्म करने को सिलसिला आवाजाही का..

इस आजमाईश का दौर खत्म ही नहीं होता ....सुन्दर भाव .....जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 
भ्रमर का दर्द और दर्पण 
At 12:27am on January 21, 2012, Shanno Aggarwal said…

स्वागतम किरन आर्य जी  :)

At 7:15pm on January 16, 2012, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
9 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service