For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१.
मात पिता तो बोझ सम, आपन पूत सुहाय ।
जियबे पर ...पानी नही, मरे गया लइ जाय ॥
२.
धूल संस्कृति फाँकती, ....संस्कार हैं रोय ।
अंधी दौड़ विकास की, मानो सबकुछ होय॥

३.

है विवेक तो तनिक नहिं, शब्दन की भरमार।
अधकचरा से ज्ञान पर,...... हिला रहे संसार॥

४.

ज्ञान समुन्दर उर बसै, फिर भी भटकय जीव।
मन ना बस में करि सकै, ..तन जैसे निर्जीव॥

५.

देख मनुष का गर्व यों, ..सोच रहे भगवान ।
धरा नरक बन जाय जो, सारे होयँ समान ॥

६.

घर की सीमा में रहै, .लजवंती कहलाय ।
लांघि गई जो देहरी, कुलटा वो कहलाय ॥

७.

धरम नाम की लूट है, ....धरम बिकाऊ हाय ।
नफरत की इक आग में, प्रेम सिसकता हाय ॥

८.

साईं जितना दीजिये, भूख बढ़त ही जाय ।
भूखा भूखा ही ...रहे, जब देखो तब हाय ॥

९.

मानुष अति ज्ञानी भया, मन का मोल लगाय ।
निज स्वारथ को साध के, खुद पर है इतराय ॥

१०.

अति शक्कर घातक बड़ी, रोग होय .....मधुमेह ।
मधुर वचन अति से बचो, खतरनाक अति नेह ॥

११.

साँच न कड़्वा बोलिये, घिरणा जो उपजाय।
वाणी के परताप से, सुख या दुख बढ़ि जाय॥

१२.

सतकरमन से ताप से, जनम सफल होइ जाय ।
मूरख नाशै जिंदगी, कुकरम में .......रहि जाय ॥

१३.

जनता में आक्रोश बहु, गरजै मेघ समान।
शासन से लड्डू मिलै, भूले तीर कमान ॥

१४.

आपन दुख अति विकट है, पीर सही ना जाय ।
देख परायी ........चोट को, मंद-मंद मुसकाय ॥

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kiran Arya on December 19, 2013 at 11:53am

सौरभ जी नमस्कार, हाँ आजकल व्यस्तता थोड़ी अधिक है लेकिन जब भी समय मिलता है हम आते है यहाँ .........आप सभी का स्नेह देता है सबल सदा .........शुभं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 12:29am

इन दोहों के लिए आभार किरणजी.. . बहुत दिनों बाद हुई आपकी उपस्थिति भली लगी.

आते रहिये.. .

शुभ-शुभ

Comment by Kiran Arya on December 13, 2013 at 11:53am

आदरणीया डॉ प्राची नमस्कार अभी सीख ही रहे है हम लिखना आपसे अनुरोध है जहाँ कहीं त्रुटी लग रही है आप हमारा मार्गदर्शन करे .....हमें ख़ुशी होगी आपके सान्निध्य में कुछ नया सीखने को मिले तो ........शुभं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2013 at 8:40am

सुन्दर भाव प्रधान दोहे प्रस्तुत किये हैं आ० किरण आर्या जी 

कथ्य भी सभी दोहों में बहुत उन्नत है...बहुत बहुत बधाई 

आतंरिक शब्द संयोजन के कारण कुछ दोहों में गेयता बाधित हो रही है.. तथा मूल शब्दों में परिवर्तन भी कहीं कहीं सही नहीं लग रहा.

कृपया एक बार पुनः ध्यान दे!

शुभकामनाएं 

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 12:08pm

राहुल जी शुक्रिया ...........शुभं

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 12:08pm

डॉ आशुतोष जी नमस्कार आभार आपका ..........शुभं

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 12:07pm

गिरिराज जी नमस्कार अभी इस क्षेत्र में शिशु है हम और सीख रहे है गर आपको लगता है त्रुटी है तो मार्गदर्शन करे .........शुभं

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 12:06pm

मीना जी नमस्कार आभारी हूँ मेरे प्रयास को पसंद करने हेतु ........शुभं

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 12:06pm

राम शिरोमणि जी नमस्कार हम अभी सीख ही रहे है आप सभी के सहयोग और मार्गदर्शन के अभिलाषी है सदैव ही ........शुभं

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 12:05pm

जितेन्द्र जी नमस्कार आभार ........शुभं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service