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हर दिल अज़ीज़....

हर दिल अज़ीज़....

रिश्तों को निभा लेने की जिसमे तमीज है,
यकीन मानिये   वो ,   हर-दिल- अज़ीज़ है.
#
ठहरा रहे जमीं को, क्योंकर कुसूरवार,
पौधे  वही  उगेंगे,  बोये  जो  बीज है!
#
उनको दवा न दीजिये,आँखों क़े मर्ज़ की,
नज़रें   चुरा  रहें  वो, दिल क़े मरीज़ हैं.
#
पत्थर सा सख्त चेहरा,रखते हैं जो यहाँ,
दो  घडी  में  पर  वो,  जाते  पसीज  हैं.
#
सिरहाने का  तकिया ,  उसको  बनाइये,
मुश्किलों से हाँथ में , आई  जो  चीज़ है.
#
अविनाश बागडे....

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on March 10, 2012 at 10:11pm

1..Dr.PRACHI.,bahut-bahut aabhar.

2..Pradeep Sir,shukriya aapka.

3..Aanand bhai ..aabhar.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 10, 2012 at 6:50pm

रिश्तों को निभा लेने की जिसमे तमीज है,

यकीन मानिये   वो ,   हर-दिल- अज़ीज़ है.
सत्य बात खूब सूरत तरीके से बधाई.
Comment by AVINASH S BAGDE on March 10, 2012 at 4:06pm

thanks Minu jha mam...

Comment by minu jha on March 10, 2012 at 11:08am
उनको दवा न दीजिये,आँखों क़े मर्ज़ की,
नज़रें   चुरा  रहें  वो, दिल क़े मरीज़ हैं.
बहुत सुंदर अविनाश जी

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