जय...जय...जय...ओ बी ओ l
यहाँ शरण में जो भी आया
ओ बी ओ ने गले लगाया l
इस मंदिर में जो भी आवे
रचना नई-नई लिखि लावे l
जो भी इसकी स्तुति गावे
नई विधा सीखन को पावे l
संपादक जी यहाँ पुजारी
उनकी महिमा भी है न्यारी l
जिसकी रचना प्यारी लागे
पुरूस्कार में वह हो आगे l
प्रबंधकों की अनुपम माया
भार प्रबंधन खूब उठाया l
जय...जय...जय..ओ बी ओ l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
मैम ओ बी ओ का कविता में चित्रण करने पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें
अम्बरीश जी, आपका पुनः धन्यबाद.
संदीप जी एवं वीनस जी, आपका बहुत धन्यबाद.
स्वागत है आदरणीया शन्नो जी !
वाह
अभूतपूर्व
इस सुन्दर सुहानेमंच की प्रतिष्ठा और प्रशंसा में प्रस्तुत आपकी यह रचना बहुत सुन्दर लगी महोदया|
और आपके सुंदर रचनात्मक कमेन्ट के लिये भी अत्यंत धन्यबाद...अम्बरीश जी.
अम्बरीश जी, आपका बहुत-बहुत धन्यबाद. आपके मार्ग-दर्शन से रचना में अपनी त्रुटियों को जाना जिसके लिये मैं आपकी बहुत आभारी हूँ. आपने जो कहा उन शब्दों से बदलाव करती हूँ अभी.
अरुण जी, प्रदीप जी एवं आशीष...आप सबका बहुत धन्यबाद. रचना की सराहना के लिये आप सबकी आभारी हूँ.
वाह क्या कहने आदरणीया शन्नो जी आपने ओ बी ओ की सभी खूबियों को सुन्दरता से समेटा है अति sundar !!
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