For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू क्या-क्या ना सहती आई है l

 

कभी गंगा कहते हैं तुझको   

कभी होती है देवी से उपमा    

मन बिशाल ममता की मूरत

और सहनशक्ति में धरती माँ 

रूप अनोखे हैं अनगिन तेरे 

युग की गाथा में लक्ष्मी बाई है l

 

तू क्या-क्या ना सहती आई है l

 

तू ओस में डूबी कमल पंखुडी

रजनीगन्धा और हरसिंगार 

सुरभित पुरवा के आँचल सी 

घर में खिलती बन कर बहार

माटी सी घुल-घुल कर भी तू    

ना कभी चैन से जीने पाई है l

 

तू क्या-क्या ना सहती आई है l

 

हर व्यथा को अंदर ही पीकर  

घर-मधुबन को सींचे जाती 

बाती सी बनकर जलती रहती

है धरती की ऊँची तुझसे छाती 

पर पापी दुनिया की चालों में

कभी इज्ज़त भी तूने गंवाई है l

 

तू क्या-क्या ना सहती आई है l

-शन्नो अग्रवाल

 

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 11:23pm

ek stri ke sambandh main. vastvik chitran, badhai.

Comment by Shanno Aggarwal on April 17, 2012 at 1:40pm

अरुण जी, राजेश कुमारी जी, संदीप जी एवं सोनम जी, आप सभी की सराहनीय अभिव्यक्ति से मन को अत्यंत खुशी मिली...रचना लिखना सफल हुआ. हार्दिक आभार व धन्यबाद.  

Comment by Abhinav Arun on April 17, 2012 at 1:11pm

अति सुन्दर रचना शन्नो जी " आँचल में है दूध और आँखों में पानी " की याद हो आई हार्दिक बधाइयाँ !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 17, 2012 at 12:52pm

vaah shanno ji aurat ke kitni roop simat kar aa gaye aapki rachna me bahut sundar

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 17, 2012 at 12:19pm

रूप अनोखे हैं अनगिन तेरे 

युग की गाथा में लक्ष्मी बाई है

आदरणीया शन्नो जी! सुन्दर कविता की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें|

Comment by Sonam Saini on April 17, 2012 at 9:59am

Good Morning mam

Very beautiful poem.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service