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बड़े ही नेक छन्द। सारी दुनिया को अमल करना ही चाहिए।
शानदार रोलों पर दमदार बधाई लीजिये
छंद के विषय में तो छंद शिरोमणि ही बता सकेंगे
भाव बहुत पसंद आया
आदायगी भी अच्छी लगी
बधाई
पिघल रहा हिमवान,जलधि तल ऊपर आया।
क्षरण परत ओजोन,काल की काली छाया॥
ऑक्सीजन में कमी,वायु में कार्बन भारी।
मलवे से है पटी,प्रदूषित नदियां सारी॥
त्रिपाठी जी बहुत सुन्दर आज के हालत की छवि और सुन्दर सन्देश .... शुभ कामनाएं ..जय श्री राधे -भ्रमर ५
धरा बचा लें नीर,बचाना जीवन चाहें।
यही भले की बात,यदि हम प्रलय न चाहें॥
बहुत ही सामयिक रोलों की प्रस्तुति है, अरबो रुपया साफ़ वाला रोला भी बढ़िया है, बधाई स्वीकारें |
आदरणीय श्री त्रिपाठी जी समकालीन सन्दर्भों में आपने पानी की महत्ता को सशक्त तरीके से रेखांकित किया हार्दिक बधाई !!
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