For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम कौन से भले हैं....

न सोंच दिल कि तुम्हारी खता कहाँ थी
कर ले ख़्याल इतना हमारी वफा कहाँ थी

भड़कती नहीं चिंगारियां संग और आब से
रंजिश में तेरी भी दिलक़श ब्यां कहाँ थी

गै़र की बदसुलूकी से आज तुं क्यूं परेशां
बेअदबी पर खुद की शर्मो हया कहाँ थी

गै़र की करतुतो पर दिलों में शुगबूगाहट
अपनी ख़ता का दिल में चर्चा कहाँ थी

औरों से चाहत तेरी तमन्ना तहजीब की
ईमानदारी तेरी पेशगी में जवां कहाँ थी

इक वजह अदावत की दुनिया में खुदगर्जी
जब बनी थी कायनात ये दास्तां कहाँ थी

करें कद्र जज़्बातों का शरद एहसास जो
फिर दिल कहेगा दिलों में दुरियां कहाँ थी

सुबोध कुमार शरद

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Subodh kumar on September 26, 2010 at 4:07pm
dhanyabadd ashish jee...
Comment by Subodh kumar on September 26, 2010 at 4:07pm
dhanybaad bagi jee..
Comment by आशीष यादव on September 26, 2010 at 11:53am
वाह सरद जी, स्वयं को प्रतिक बनाकर मानव जाति की भावानावों को प्रकट किया है| एक सुन्दर ग़ज़ल|
भूरि भूरि प्रसंशा के काबिल है यह रचना|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 26, 2010 at 10:58am
गै़र की करतुतो पर दिलों में शुगबूगाहट
अपनी ख़ता का दिल में चर्चा कहाँ थी,

वाह वाह सुबोध साहिब भाई क्या कमाल की ग़ज़ल पढ़ी है आपने, स्वयम की तरफ उठती उँगलियाँ, बहुत ही खुबसूरत,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
15 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service